करीब पांच मिनट चले इस गाने के दौरान आसपास सन्नाटा छाया रहा। बच्ची ने गाने के माध्यम से बाढ़ की आपदा से उपजे दर्द को बयान किया था। इस आदिवासी बच्ची के गाने से सभी को झकझोर दिया। बामौर के रहने वाले हरिनारायण आदिवासी की बेटी ने बताया कि उनका घर नदी के किनारे पर ही था। बाढ में उसका घर द्वार सब बह गया और पूरा परिवार छात्रावास में रह रहा है। अभी तक सिर्फ खाद्यान्न सामग्री मिल रही है। आगे की सुध लेने वाला कोई सामने नहीं आया।
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गाना पूरा होने पर राज्यपाल की सुरक्षा में तैनात दो अधिकारी बच्ची के पास पहुंचे और उन्होंने उसका पूरा नाम और पता नोट किया। राज्यपाल ने बच्ची के गाने की तारीफ की और 500 रुपए पुरस्कार दिया। हालांकि, बच्ची ने गाने के जरिये जो दर्द बयान किया था,उसको लेकर किसी अधिकारी, नेता ने कुछ भी आश्वासन नहीं दिया।
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यह बोले गोपाल
राज्यपाल ने जिस गोपाल आदिवासी के घर भोजन किया था, उसने बताया कि राज्यपाल के आने से गांव में सब बदल गया। पुताई हो गई, नल लग गए, पंखे लग गए। इसके अलावा गांव की एक महिला ने बताया कि उज्जवला योजना का सिलंडर मिला था, लेकिन गैस भराने के लिए पैसे न होने की वजह से भरवा नहीं पा रहे हैं। गैस का चूल्हा टांड पर रखा था। अब वे चूल्हे पर ही खाना बनाती हैं।