राजयोग मेडिटेशन कोर्स के बाद छह माह तक नियमित सत्संग, राजयोग ध्यान के अभ्यास के बाद सेंटर इंचार्ज दीदी की ओर से सेवाकेंद्र पर रहने की अनुमति दी जाती है। तीन साल तक सेवाकेंद्र पर रहने के दौरान संस्थान की दिनचर्या और गाइडलाइन का पालन करना जरूरी होता है। बहनों का आचरण, चाल-चलन, स्वभाव, व्यवहार देखा-परखा जाता है। इसके बाद ट्रॉयल के लिए मुख्यालय शांतिवन के लिए माता-पिता का अनुमति पत्र भेजा जाता है। ट्रॉयल पीरियड के दो साल बाद फिर ब्रह्माकुमारी के रूप में समर्पण की प्रक्रिया पूरी की जाती है। समर्पण के बाद फिर बहनें पूर्ण रूप से सेवाकेंद्र के माध्यम से ब्रह्माकुमारी के रूप में अपनी सेवाएं देती हैं।
ग्वालियर की बीके रोशनी अपनी पढ़ाई ग्रेजुएशन कंप्लीट कर ईश्वरीय सेवा में समर्पित हुई। वह बताती है कि मैंने परमात्मा का ज्ञान बचपन से ही सुना है। आज जहां लोग छोटी-छोटी बातों में दु:खी और अशांत हो जाते है वहां पर ब्रह्माकुमारी बहनें खुश रहकर समाज में खुशियां बांटने का कार्य कर रही है। मुझे भी लगा काश में भी इनके जैसी समाज की सेवा करूं, घर में माता-पिता से छुट्टी मिली तो इस राह पर चल पड़े। ग्वालियर की बीके सुरभि बी.कॉम की पढ़ाई पूरी कर ईश्वरीय सेवा में समर्पित हुई। वह कहती है कि मेरा जन्म एक बहुत ही धार्मिक परिवार में हुआ बचपन से ही मुझे एक अच्छी राह पर चलना और सबका भला करना कभी झूठ नहीं बोलना किसी को दु:ख नहीं देना सिखाया गया। मैं भोलेनाथ की सच्ची पार्वती बनकर आमजन की सेवा करना चाहती हूं, ब्रह्माकुमारीज का यह सत्य ज्ञान बहुत ही खुशी और आनंद देता है इसलिए मैंने इस राह को चुना। वहीं बीके गायत्री कहती है कि बचपन से ही आध्यात्मिक बातों में रुचि थी। यही कारण है कि इस राह को चुन लिया।