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ग्वालियर

जज ने पूछा, स्पष्ट जवाब दें ‘सोना उगलने वाली नदी’ को सरकार संवारेगी या नहीं! पढ़ें पूरी खबर

हाईकोर्ट की युगल पीठ ने बुधवार को स्वर्ण रेखा नदी के सौंदर्यीकरण को लेकर पेश की गई पालन प्रतिवेदन रिपोर्ट पर नाराजगी जताई। निगम ने बताया कि सौंदर्यीकरण के लिए कमेटी बना दी है। इस पर कोर्ट ने कहा कि इस देश की एक बड़ी विडंबना है, जब कोई काम नहीं करना है तो उसके लिए कमेटी बना दो, आप भी जाने सोना उगलने वाली इस नदी की कहानी…

ग्वालियरJan 11, 2024 / 11:54 am

Sanjana Kumar

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हाईकोर्ट की युगल पीठ ने बुधवार को स्वर्ण रेखा नदी के सौंदर्यीकरण को लेकर पेश की गई पालन प्रतिवेदन रिपोर्ट पर नाराजगी जताई। निगम ने बताया कि सौंदर्यीकरण के लिए कमेटी बना दी है। इस पर कोर्ट ने कहा कि इस देश की एक बड़ी विडंबना है, जब कोई काम नहीं करना है तो उसके लिए कमेटी बना दो। इसके बाद काम को एक दूसरे पर टालते रहो। हमें कहानी सुनाकर घुमाओ मत, स्पष्ट जवाब चाहिए कि शासन स्वर्ण रेखा के सौंदर्यीकरण के लिए फंड दे रहा है या नहीं। सीवर लाइन के लिए नगरीय प्रशासन विभाग व नदी के जीर्णोद्धार के लिए नमामी गंगे प्रोजेक्ट से कितना फंड मिल रहा है। क्या सरकार के पास आर्थिक संकट आ गया है, इस कारण फंड नहीं मिल पा रहा है। 17 जनवरी तक स्पष्ट जवाब के साथ मौजूद रहें, नहीं तो मुख्य सचिव व प्रमुख सचिव को बुलाया जाएगा। याचिका की सुनवाई जस्टिस रोहित आर्या व जस्टिस विनोद कुमार द्विवेदी ने की।

हाईकोर्ट ने मंगलवार को स्पष्ट कर दिया था कि स्वर्ण रेखा व केदारपुर पर लग रहे प्लांट के संबंध में हर सवाल के जवाब के साथ न्यायालय में मौजूद रहें। बुधवार को नगर निगम आयुक्त हर्ष सिंह सहित वन विभाग एवं जल संसाधन विभाग के अधिकारी मौजूद थे। न्यायालय के सामने जो पालन प्रतिवेदन रिपोर्ट पेश की गई, उसमें प्लान को गोल-गोल घुमाया गया। एक दूसरे पर जीर्णोद्धार को टाला गया। नगर निगम की ओर से बताया गया कि स्वर्ण रेखा नदी के जीर्णोद्धार का प्रस्ताव नमामी गंगे प्रोजेक्ट के तहत भेजा गया है, लेकिन नमामी गंगे के तहत सीवर का काम नहीं किया जा सकता है। इसलिए प्रस्ताव दोबारा भेजा है। कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि क्या बुद्धि पर ताला लगा हुआ था, पहले क्यों नहीं भेजा। सुनवाई के पहले प्रस्ताव भेज रहे हैं। ज्ञात है कि विश्वजीत रतौनिया ने स्वर्ण रेखा के सौंदर्यीकरण को लेकर जनहित याचिका दायर की है। कोर्ट ने याचिका के मुद्दे को संज्ञान में लेते हुए स्वर्ण रेखा के सौंदर्यीकरण का आदेश दिया है।

कोर्ट रूम से लाइव
कोर्ट- स्वर्ण रेखा के सौंदर्यीकरण के लिए शासन रुपए देगा, या नहीं। इसका स्पष्ट जवाब चाहिए। दस अधिकारी खड़े हैं, लेकिन जवाब किसी के पास नहीं है।
निगम- नमामी गंगे प्रोजेक्ट के तहत फंड स्वीकृति के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग हुई है। फंड स्वीकृति के लिए प्रस्ताव भेज रहे हैं।

कोर्ट- आपका प्रस्ताव अभी गया नहीं है, ऐसे में फंड कहां से स्वीकृत होगा।
नगर निगम- सीवर लाइन का अलग से निर्माण कराया जा रहा है। इसके लिए 567 करोड़ रुपए की जरूरत है।

कोर्ट- स्टोरी मत सुनाओ, हमें प्लान बताओ, अलग से सीवर का क्या काम है।
आयुक्त- 13 किलोमीटर अलग से लाइन डलेगी। यह काफी गहरी है। जहां-जहां से सीवर आता है, उसमें जोड़ेंगे। सीवर काफी आती है, जो सीवर लाइन डली है, 40 साल पुरानी है। वह डैमेज हो चुकी है, जिससे पानी फैल रहा है। अलग से लाइन डालेंगे।

कोर्ट- अभी आपको दो काम करने हैं, जितना सीवेज व सॉलिड वेस्ट स्वर्ण रेखा में जा रहा है, उसको ब्लॉक कीजिए। उसे डायवर्ट कीजिए। रिवर ट्रैक पर पानी को ब्लॉक कीजिए।
नगर निगम- नई लाइन डालनी होगी, जिससे सीधा पानी जलालपुर पर पहुंचे। दोनों किनारों पर 13-13 किलोमीटर लंबी नई लाइन डलेगी। इस काम को पूरा करने में दो साल लगेंगे।

कोर्ट- अमृत प्रोजेक्ट क्या है। इसके नाम के अनुसार आप लोग काम नहीं कर रहे हैं। केंद्र सरकार पैसे दे और काम आप नहीं कर पाएं और बदनाम केंद्र सरकार को करें।
नगर निगम- अमृत-2 के तहत सीवर लाइनों को सुधारने के लिए फंड स्वीकृत हुआ है। इस योजना की राशि नहीं आई है।

वीरांगना लक्ष्मीबाई ने ली थी अंतिम सांस

यह नदी है फूलबाग के पास। जिसके किनारे अंग्रेजों से लोहा लेने वाली वीरांगना लक्ष्मीबाई ने अंतिम सांस ली थी। जहांं वीरांगना का समाधि स्थल बना हुआ है। आज इसका काफी भाग नाले में बदल चुका है। शहर के बीच से होकर बहने वाला स्वर्ण रेखा नाला कभी स्वर्ण रेखा नदी हुआ करती थी। यह नदी इस शहर की शान हुआ करती थी। इस नदी का उद्गम हनुमान बांध से हुआ है। लेकिन आज स्वर्ण रेखा नदी का नाम सरकारी कागजोंं में तो है, लेकिन असल मेंं यह बेरहम लोगों और प्रशासन की लापरवाही से एक नाला बन चुकी है। जब से स्वर्ण रेखा कंकरीट की बनी है तब से नगर मेंं भूजल स्तर तेजी से गिरता जा रहा है। जिसका परिणाम यह है कि स्मार्ट सिटी वाले इस महानगर में पानी के लिए त्राहि-त्राहि मची है।

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