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ग्वालियर

दुकानदारों ने सामानों को होम डिलीवरी करने में असमर्थता जताई, बोले कहा से दें डिलीवर ब्वॉय को पैसे

कोई भी डिलीवर ब्वॉय सामान लेकर जाने को तैयार नहीं है।

ग्वालियरApr 05, 2020 / 08:09 am

Amit Mishra

लॉकडाउन में खरीदारी के लिए बाजार जाने की जरूरत नहीं, राशन-दवाइयों की निःशुल्क होम डिलीवरी के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी

लॉकडाउन में खरीदारी के लिए बाजार जाने की जरूरत नहीं, राशन-दवाइयों की निःशुल्क होम डिलीवरी के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी

ग्वालियर। कोरोना संक्रमण के चलते लॉकडाउन में घर से बाहर निकलने की अनुमति नहीं है। खाने-पीने की सामग्री के लिए भिंड जिला प्रशासन ने किराना व्यापारियों को आदेश दिए हैं कि वह होम डिलीवरी दें।दुकानदारों के सामने समस्या ये है कि सामग्री लेकर निकलने वाले वर्करों को पुलिस की प्रताडऩा का सामना करना पड़ रहा है। ऊपर से डिलीवरी चार्ज मिलना तो दूर किराना व्यापारियों को प्रशासन की हिदायत है कि वह डिलीवरी लड़कों को अपने कमीशन से ही मेहनताना देंं।

सामान लेकर जाने को तैयार नहीं

ऐसे में लोगों को ऑर्डर पर राशन नहीं मिल रहा है।लोगों द्वारा किराना स्टोर पर कॉल करने पर कॉल रिसीव तो किया जाता है पर राशन भेजने से ज्यादातर दुकानदार इनकार कर रहे हैं। ऐसे में लोगों को राशन उपलब्ध नहीं हो रहा है।दुकानदारों का कहना है कि प्रशासन आदेश करने के बाद लॉकडाउन में आवागमन करने के लिए डिलीवरी ब्वॉय को पास जारी नहीं कर रहा है। इससे कोई भी डिलीवर ब्वॉय सामान लेकर जाने को तैयार नहीं है।


प्रशासन पास बनावाने में असमर्थ
लॉकडाउन में किसी को भी बाहर निकलने की अनुमति नहीं है। ऐसे में किराना व्यापारी खुद कैसे डिलीवरी ब्वॉय के पास बनवाने के लिए बाहर निकलें? प्रशासन को चाहिए कि जिस तरह किराना व्यापारियों को सूचीबद्ध कर उनके नंबर सार्वजनिक किए थे, उसी प्रकार उनके पास बनवाकर उन्हें उपलब्ध कराए जाएं।

दुकानों के नंबर सार्वजनिक कैसे कर दिए गए?
होमी डिलीवरी पर होने वाले अतिरिक्त खर्च के लिए प्रशासन संबंधित दुकानदारों को शासन स्तर पर आर्थिक मदद मुहैया कराने के लिए आश्वस्त क्यों नहीं करता? यदि ऐसा हो तो दुकानदार दिलचस्पी लेकर होम डिलीवरी करेंगे?


प्रशासन का मानना है कि दुकानदार अपने मुनाफे में से ही डिलीवरी ब्वॉय का मेहनताना अदा करे और परिवहन में व्यय होने वाले पेट्रोल-डीजल का खर्च भी वहन करे तो ऐसा कोई भी दुकानदार क्यों करेगा?


किराना व्यापारियों को निर्देशित किया गया है कि वह होम डिलीवर करने वाले लड़कों के पास बनवाएं। रही बात होम डिलीवर पर होने वाले अतिरिक्त खर्च की तो वह उन लड़कों को निर्धारित दर में सामग्री विक्रय से होने वाली फायदे से ही बचाकर दें। पास बनवाने में दुकानदार सक्रियता नहीं दिखा रहे हैं। इसके लिए हम सख्ती करेंगे।
छोटे सिंह, कलेक्टर


हजार रुपए से कम का सामान होने पर होम डिलीवरी नहीं करते। सामग्री ले जाने वाले लड़कों की सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं हैं। पुलिस ही उन्हें प्रताडि़त करती है। होम डिलीवरी पर होने वाले अतिरिक्त खर्च का भार भी कोई देने को तैयार नहीं है। प्रशासन आदेश देकर अलग हो गया। ऐसे में नुकसान कौन झेले।
सौरभ जैन, किराना स्टोर संचालक


सामग्री लेकर जाने वाले लड़कों को निकलने नहीं देते, जबकि हम जो सामान दुकान पर जिस भाव में बेच रहे हैं उसी भाव में होम डिलीवरी पर देने को तैयार हैं।

मानिक जैन, जैन किराना स्टोर संचालक


घर से निकलने नहीं दिया जा रहा है और राशन जैसी बुनियादी जरूरत का सामान होम डिलीवर नहीं हो रहा है। एेसे में आमजन क्या करे। गरीब परिवारों को समाजसेवी भी खाना खिला जाते हैं। हम जैसे मध्यमवर्गीय परिवार कहां जाएं।
मेहबूब खान, वार्ड क्रमांक 27


प्रशासन की अंधेरगर्दी है। किसी के घर राशन नहीं पहुंच रहा है। लॉकडाउन का पालन जरूरी है, लेकिन आमजन के खाने-पीने के लिए व्यवस्थाएं भी उतनी ही जरूरी हैं। स्थिति ये है कि कोरोना संक्रमण से ज्यादा लोग खाने-पीने के लिए परेशान हैं।
प्रेम शंकर पाराशर, निवासी वीरेंद्रनगर

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