इसमें कई बातों की गहराई से पड़ताल करनी होती है। अक्सर मामलों में द्वेषवश लोगों को फंसाने की कोशिश भी रहती है, इसलिए हर पहलू को परखा जाता है, जैसे कि फरियादी और आरोपी के बीच पुरानी पहचान, जगह जहां घटना हुई है वह सार्वजनिक है या एकांत है, ऐसे पहलुओं को देखकर केस की जांच की जाती है।
चंबल रेंज एजेके पुलिस ने पेंडिंग मामलों को सुलझाने में कठिन मेहनत की थी। पिछले छह महीने से हर केस पर अतिरिक्त महानिदेशक सहित वरिष्ठ अफसर नजर रखे थे। प्रकरणों को लेकर कई बार मीटिंग हुई। उसका नतीजा है कि इस बार चंबल रेंज में 122 लंबित प्रकरण थे उन्हें समेट कर सिर्फ 10 तक सीमित कर दिया है।
एजेके थानों के लिए स्वीकृत बल की गिनती तो काफी है, लेकिन उसके हिसाब से बल थानों को नहीं मिला है, इससे काम पर असर पड़ता है। अगर फोर्स बढ़ेगा तो इंवेस्टीगेशन ऑफिसर से लेकर आरोपियों की पकड़ करने के लिए भी बल रहेगा। बल की कमी से कुछ काम तो प्रभावित होता ही है।