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शिवपुरी में प्याज का रकवा कम होने के बावजूद बंपर उत्पादन हुआ। शहर में प्याज की आवक अप्रैल के अंतिम सप्ताह से ही शुरू हो गई थी, जबकि भावांतर के तहत पंजीयन कराने वाले किसानों की प्याज की खरीदी 16 मई से शुरू हुई। शुरुआत में प्याज के दाम 300 से 350 रुपए प्रति मन व्यापारियों ने तय किए। अधिकांश किसानों ने अपनी प्याज इसी रेट में व्यापारियों को बेच दी। सस्ते दाम में प्याज खरीदकर शहर के व्यापारियों ने गोदाम भर लिए। जब प्याज की आवक कम होने लगी तो बीते 10 दिन पूर्व अचानक प्याज के रेट 650 से 700 रुपए तक पहुंच गए। यहां पर प्याज का रेट व्यापारी व आढ़तिया मिलकर तय करते हैं। जब दाम बढ़े तो वे किसान पछताने लगे, जिन्होंने शुरुआत में ही 300 से 350 रुपए मन में बेच दी। चूंकि व्यापारियों को पता है कि जब वे रेट बढ़ाएंगे तो बाजार में प्याज के दाम बढ़ेंगे और उनके द्वारा जमा की गई प्याज के दाम चंद दिनों में ही दुगने हो गए।
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आढ़तिया भी कर रहे किसान से वसूली
किसान जो प्याज लेकर आ रहा है, वो सीधे व्यापारी को न बेचकर आढ़तिया से सौदा करके फ्री हो जाता है। आढ़तिया यानि बिचौलिया, किसान से 40 की जगह 45 किलो प्याज की तौल लेता है। क्योंकि किसान प्याज को ट्रॉली में भरकर लाता है, जिसे प्लास्टिक कट्टे में भरने का काम आढ़तिया करवाता है। साथ ही आढ़तिया कुल राशि में से 5 प्रतिशत आढ़त काटता है। यानि किसान की प्याज यदि 50 हजार रुपए की बिकी तो उस पर ढाई हजार रुपए आढ़त लगेगी। इसके अलावा प्याज की ट्रॉली खाली करवाने के एवज में आढ़तिया एक मन प्याज अतिरिक्त लेता है।
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कमीशन पर मिल रही कम रेट में बिक्री की पर्ची दाम बढऩे के साथ ही अब किसान अपनी प्याज व्यापारी को 10 से 12 रुपए किलो में बेच रहा है, लेकिन पांच प्रतिशत कमीशन देकर वो व्यापारी से 4 रुपए किलो खरीदी की पर्ची बनवा रहा है। यह कमीशन बेची गई फसल की कुल राशि पर लिया जा रहा है। अब किसान 4 रुपए किलो में प्याज बेचने की पर्ची लगाकर सरकार से 4 रुपए प्रति किलो (भावांतर में 8 रुपए किलो के रेट तय किए हैं) की भावांतर राशि वसूल करेंगे। यानि किसान भी अब व्यापारी के साथ मिलकर सरकार को चूना लगाने की तैयारी में है। जबकि 8 रुपए किलो में तो किसान उसी समय प्याज बेच चुका, जब प्याज के दाम 300 से 350 रुपए रहे।
जमाखोरों ने ताने कॉम्पलेक्स
प्याज के दाम घटाने व बढ़ाने का काम व्यापारी ही करते हैं। यही वजह है कि किसान तो वहीं का वहीं रह गया, लेकिन प्याज की जमाखोरी करने वालों ने बाजार में ही कॉम्पलेक्स तान दिए। किंग के नाम से मशहूर एक प्याज कारोबारी की कुछ साल पहले तक एक छोटी सी टेलर की दुकान थी, लेकिन प्याज का धंधा कुछ ऐसा चला कि सदर बाजार में एक बड़ा कॉम्पलेक्स बनाने के साथ ही कई नई दुकानें भी बना लीं। शहर में प्याज जमाखोरी का काम कई व्यापारी कर रहे हैं।
प्याज के दाम तो व्यापारी ही तय करते हैं और वे ही क्वालिटी देखकर बोली लगाते हैं। भावांतर की भी खरीदी चल रही है। दो दिन में इससे निपटने के बाद प्याज के दाम कैसे कम हों, इस संबंध में बैठकर चर्चा करेंगे।
रविंद्र शर्मा, सचिव कृषि उपज मंडी शिवपुरी