महंगाई की मार झेल रहे आम आदमी को एक बार फिर से चावल के दामों ने परेशान कर दिया है। खास बात यह है कि इस बार नई फसल आने के बाद भी चावल के दाम कम नहीं हुए हैं। हर वर्ष नया चावल आने के बाद कीमत में 4 से 5 रुपए की कमी आती थी, लेकिन इस बार कीमत में उछाल है। चावल के थोक व्यापारी नीरज दौलतानी का कहना है कि सितंबर-अक्टूबर में चावल की नई फसल आती है, इसके बाद चावल के दाम घटते हैं। फिलहाल बाजार में स्टॉक का पुराना चावल है।
पिछले कुछ दिनों में 15 से 20 प्रतिशत तक दाम बढ़े हैं। इस बार स्टॉक का चावल अगर बाजार में ज्यादा बचा होगा तो नई फसल आने तक दाम घट सकते हैं। पुराना चावल स्वादिष्ट होने से लोग ज्यादा पसंद करते हैं। यह अच्छी तरह से पकता भी है।
अभी और बढ़ेंगे दाम
व्यापारी का कहना है कि अभी तो चावल का दाम और बढ़ सकता है। वर्तमान में सादा चावल (टुकड़ी) की कीमत भी 21-22 से 27-28 रुपए प्रति किलोग्राम हो गई है। अच्छी क्वालिटी के सेला और बासमती चावल के दामों में 10 से 15 रुपए का प्रति किलो का इजाफा हुआ है।
निर्यात अधिक व सरप्लस स्टॉक नहीं होने से महंगाई
– बाजार में चावल के दाम बढऩे का कारण निर्यात तो है ही। साथ ही इस साल राइस ट्रेडर्स के पास पिछले साल का ज्यादा सरप्लस स्टॉक नहीं था।
– इस साल मौसम ने भी धान किसानों का साथ नहीं दिया। जब धान की फसल खेत में थी तो मौसम अचानक से ज्यादा गर्म हो गया।
– समय पर बारिश भी नहीं हुई। बारिश तब हुई जबकि धान की फसल तैयार हो रही है। इससे उत्पादन में करीब पांच से दस फीसदी की गिरावट हुई।
बारिश कम होने के कारण फसल प्रभावित
कीमत बढऩे का कारण सरकारी मूल्य पर धान करीब 22,000 रुपए क्विंटल और बारिश कम होने के कारण फसल प्रभावित होना माना जा रहा है। अब व्यापारी सीधे राइज मिल से चावल मंगवा रहे हैं।