यह भी वजह…
अंचल का बड़ा हिस्सा उत्तरप्रदेश से है सटा
चुनावी गणित के जानकार कहते हैं अंचल में बसपा का दबदबा बढऩे की बड़ी वजह अंचल का काफी हिस्सा यूपी से सटा है। हालांकि बसपा की मजबूती का फायदा हर बार भाजपा को मिला है। 2008 और 2013 के चुनावों में बसपा के ज्यादा वोट मिले थे। दोनों बार भाजपा प्रदेश की सत्ता पर काबिज हुई। इन दोनों चुनावों की तुलना में पिछले चुनाव (2018) बसपा को कम मत मिले तब कांग्रेस मजबूत रही।
दम से चुनाव लडऩे की तैयारी
इस बार बसपा नेता पूरे दम से चुनाव लडऩे की ताल ठोक रहे हैं। उनका कहना है भाजपा और कांग्रेस के कई दिग्गज सीधे पार्टी के संपर्क में हैं। उन्हें सिर्फ अपने दलों की उम्मीदवार सूची जारी होने का इंतजार है। अगर उनका टिकट कटता है तो अपनी दम पर भाजपा और कांग्रेस को जिताते रहे यह दिग्गज बसपा का हाथ थामेंगे।
इन सीटों पर दिखाया दम
चंबल अंचल में पिछले चुनाव में भिंड सीट बसपा ने 35896 मतों से जीती थी। इसके अलावा ग्वालियर ग्रामीण की सीट पर सिर्फ 1517 मत , जौरा में 15173 और पोहरी 7918 मत से दूसरे नंबर पर रहना पड़ा था। जानकारों के अंचल में अनुसूचित जाती वर्ग के करीब 12 प्रतिशत से ज्यादा वोट हैं। इसका फायदा पार्टी को मिल रहा है।
भाजपा 71101,
कांग्रेस 92055
बसपा 4596 – ग्वालियर पूर्व
कांग्रेस 90133,
भाजपा 72314 ,
बसपा 5046 – ग्वालियर दक्षिण
भाजपा 56248,
कांग्रेस 56379,
बसपा 3098 – भितरवार
कांग्रेस 66439,
भाजपा 54309,
बसपा 18728 – डबरा
कांग्रेस 90598,
भाजपा 33152
बसपा 13155
भाजपा 51033,
बसपा 49516 मत मिले थे ये भी पढ़ें : MP Election 2023 : आखिरी दिन 70 उम्मीदवारों ने भरे नामांकन, बसपा सहित क्षेत्रीय पार्टी के उम्मीदवारों की रही भीड़, आज जांच, 2 को होगी वापसी
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