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ग्वालियर

MP ELECTION 2018: पत्रिका ने जाना क्या है हवा का रुख, न किसी की लहर न बयार, खामोशी से एक-एक प्रत्याशी को परख रहे वोटर

MP ELECTION 2018: पत्रिका ने जाना क्या है हवा का रुख, न किसी की लहर न बयार, खामोशी से एक-एक प्रत्याशी को परख रहे वोटर
 

ग्वालियरNov 18, 2018 / 11:41 am

Gaurav Sen

mp election 2018 gwalior region vidhansabha seats patrika survey

MP ELECTION 2018: पत्रिका ने जाना क्या है हवा का रुख, न किसी की लहर न बयार, खामोशी से एक-एक प्रत्याशी को परख रहे वोटर

ग्वालियर। विधानसभा चुनाव का शोरगुल अब चौराहों से बढकऱ गली-मोहल्लों में पहुंच गया है। प्रत्याशी समर्थकों की भीड़ के साथ द्वारे-द्वारे शीश नवा रहे हैं। उम्मीदवार मतदाताओं के बीच खुद को जीत के प्रति पूरी तरह आश्वस्त दिखाने में कोई कमी नहीं छोड़ रहे। साथ घूम रहे कार्यकर्ता और समर्थक भी अपने ही नेता की लहर-बयार का दावा करते हुए मतदाताओं का रुख अपनी ओर मोडऩे की कोशिश करने का हर जतन करते नजर आते हैं। दूसरी ओर, मतदाता फिलहाल अपने मन की थाह बिल्कुल नहीं लगने दे रहा। बड़ी खामोशी से सभी प्रत्याशियों को अच्छी तरह जांच-परख रहा है एक-एक वोटर। पत्रिका ने जिले की सभी छह विधानसभा सीटों पर चुनावी माहौल और मतदाताओं के मिजाज को परखा तो सामने आया कि अभी यह खेल पूरी तरह खुला हुआ है। चुनावी रण न किसी ओर झुका दिख रहा है और न ही किसी की जीत-हार की तस्वीर अभी तय नजर आती है।

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ग्वालियर, अभी तो सुन रहे, 28 को ही करेंगे फैसला

दोपहर के तीन बजे हैं। हर पार्टी का चुनावी शोरगुल उपनगर ग्वालियर के गली-मोहल्लों व चौराहों पर है। प्रत्याशियों ने अपने कार्यालय खोल लिए हैं। जहां कार्यकर्ताओं का आना-जाना बना हुआ है। कार्यकर्ताओं के लिए खाने-पीने की व्यवस्था शुरू हो गई है। भाजपा, कांग्रेस समेत अन्य दलों के व निर्दलीय प्रत्याशी सुबह आठ बजे से अलग-अलग क्षेत्र में जनसंपर्क करने निकल रहे हैं। देर रात को जनसंपर्क के बाद रूठों को मनाने और विभिन्न समाज के लोगों के साथ बैठकों का दौर चल रहा है। कांग्रेस प्रत्याशी विकास न होने की बात कहकर मतदाताओं से वोट देने का आग्रह कर रहे हैं, तो भाजपा प्रत्याशी करोड़ों के विकास कार्य कराने के नाम पर वोट मांग रहे हैं। रेलवे कॉलोनी व आसपास के क्षेत्रों में घरों की छतों पर अलग-अलग पार्टी के झंडे लहराने लगे हैं।

रेलवे कॉलोनी में खड़े विनोद राजपूत, प्रमोद तिवारी, दिलीप तोमर, अब्दुल हमीद, गजेन्द्र सिंह, संजय श्रीवास्तव से चुनाव को लेकर चर्चा की तो उनका कहना था कि वोट लेने के समय तो सब पैर छूने आते हैं, इसके बाद पूरे पांच साल मिलने कोई प्रत्याशी नहीं आता है, न हमारी समस्याओं को कोई सुनता है। उनसे पूछा कि आप वोट किसे दे रहे हो, यह तो तय कर लिया होगा, इस पर एक ने कहा, अभी तो सबकी सुन रहे हैं, सबको देख रहे हैं। वोट देने का फैसला तो 28 नवंबर को ही करेंगे। इस विधानसभा क्षेत्र में सबसे बड़ी समस्या जेसी मिल फैक्ट्री की है, जिसके बंद होने के बाद उपनगर ग्वालियर की रौनक गायब हो गई।

अंकगणित

कुल मतदाता2,70,148
युवा वोटर1,47,358
मतदान केंद्र312

2013 में ये थी तस्वीर
इतने वोट पड़े थे1,43,356
मतदान प्रतिशत61.25

 

फैसला इनके हाथइस विधानसभा क्षेत्र में प्रत्याशी के भाग्य का फैसला क्षत्रिय, ब्राह्मण, मुसलमान, कोली समाज के मतदाता करते हैं। लगभग 51 हजार वोटर क्षत्रिय समाज के हैं। यहां से 21 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। पिछले चुनाव में क्षत्रिय समाज अकेले ही नहीं, अधिकतर समाज के वोट बंट गए थे और हार-जीत का अंतर 17 हजार से अधिक हो गया था।

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ग्वालियर पूर्व, आने पर मुस्कुराए, जाते ही चेहरों पर तल्खी

शाम 4.15 बजे हैं। मुरार घासमंडी, खटीक मोहल्ला में प्रचार टीम के आते ही पटियों पर बैठे लोग बस खड़े हो जाते हैं। उनके निकलते ही चेहरों की मुस्कुराहट गंभीरता में बदल जाती है। सिंहपुर रोड, रिसाला बाजार, घासमंडी, मीरानगर, पुरानी कचहरी, गोला का मंदिर, बैंक कॉलोनी, दर्पण कॉलोनी क्षेत्र में गरमाहट केवल प्रत्याशियों और उनके साथ चल रही टीम में दिखती है। युवा अमर सिंह राठौर, सौरभ शर्मा, राहुल सिंह, आशीष झा, जितेन्द्र रावत, मोनू सोनी, अरुण कटारे, अंशुल अग्रवाल, सुभाष सिकरवार, नीटू राणा कहते हैं, जीतने के बाद सब एक से हो जाते हैं। मतदान का इंतजार है। हिसाब बराबर करेंगे।

अंकगणित

कुल मतदाता2,95,971
युवा वोटर1,53,904
मतदान केंद्र331
2013 में ये थी तस्वीर
इतने वोट पड़े थे1,40,975
मतदान प्रतिशत42.44

फैसला इनके हाथ : इस सीट पर हार-जीत का फैसला कर्मचारियों के हाथों होता आया है। यहां क्षत्रियों के अलावा वैश्य समाज भी अच्छी संख्या में है। मजदूर वर्ग की संख्या भी पर्याप्त है। डीडी नगर की 25 हजार की आबादी के हाथों यहां का फैसला होने के आसार दिखाई दे रहे हैं।

 

ग्वालियर दक्षिण: वे निश्चिंत, ये चुप, धुंधली है तस्वीर

ग्वालियर दक्षिण विधानसभा क्षेत्र में चुनावी घमासान की चर्चा शहर की सरहदें लांघकर प्रदेशभर में पहुंच चुकी है। हर प्रत्याशी की ओर से ऐसा माहौल ऐसा बनाने की कोशिश की जा रही है, मानो उसकी जीत तय है। दूसरी ओर, खामोशी ओढ़े बैठे मतदाता से चर्चा कीजिए तो वह बातों-बातों में बता देता है कि नेता कुछ अधिक आत्मविश्वास में हैं। टिकट की उम्मीद में वर्षों इंतजार करते रहे प्रमुख दलों के कई दावेदार किस ओर जाएंगे, अभी नहीं कहा जा सकता। क्रॉस वोटिंग के भी आसार बन रहे हैं। टिकट को लेकर छिड़ी जंग में तो यहां एक दावेदार जहर तक खा चुका है। यहां नोटा की भी खूब चर्चा है।
सामाजिक कार्यकर्ता जगदीश गोस्वामी कहते हैं, इस बार मतदाता की चुप्पी क्या रुख लेने वाली है, अभी कुछ नहीं कहा जा सकता। दुकानदार अशोक परिहार, महेन्द्र बंसल, ओमप्रकाश गुप्ता, प्रदीप जैन, जितेन्द्र परिहार का कहना है कि इस बार मुकाबला सीधा न होकर त्रिकोणीय हो सकता है।

अंकगणित

कुल मतदाता2,50,965
युवा वोटर1,28,918
मतदान केंद्र287
2013 में ये थी तस्वीर
इतने वोट पड़े थे1,33,750
मतदान प्रतिशत57.97

फैसला इनके हाथ
दक्षिण विधानसभा क्षेत्र में कुशवाह समाज बहुतायत संख्या में है। इसके अलावा व्यापारी वर्ग भी इस सीट का परिणाम बदलता रहा है। एक समाज की अधिक संख्या होने से यहां विशेष जाति का प्रतिनिधि चुना जाता रहा है। गली-चौराहों की चर्चा में फुसफुसाहट है कि इस बार यहां की तस्वीर अभी तो बिल्कुल नहीं पढ़ी जा सकती।

 

ग्वालियर ग्रामीण: उधर कैडर का राग, इधर कमियों की चर्चा

दो लाख से ज्यादा मतदाता वाली ग्वालियर ग्रामीण विधानसभा में 15 प्रत्याशी मैदान में हैं। हर पार्टी मानकर चल रही है कि उसका अपना कैडर वोटर उसके साथ है। उम्मीदवार कोई हो, कैडर वोट जिताएगा। प्रत्याशी और बड़ागांव, मोहनपुर, रतवाई गांव में प्रचार चल रहा है। बुजुर्ग प्रत्याशियों की कमियों की चर्चा कर रहे हैं। रतवाई के श्यामवीर कहते हैं, सबको देख लें अंत में तय करेंगे किसे देना है वोट।

फैसला इनके हाथ : गुर्जर, यादव और कुशवाह समाज की हार-जीत में इनकी अहम भूमिका होती है।

अंकगणित

कुल मतदाता2,26,264
युवा वोटर1,17,459
मतदान केंद्र267
2013 में ये थी तस्वीर
इतने वोट पड़े थे1,24,916
मतदान प्रतिशत62.00
भितरवार: उन्होंने बहुत चक्कर कटवाए, अब हमारी बारी

उम्मीदवार औरसमर्थक जीत की ताल ठोक रहे हैं, लेकिन मतदाता मौन। इस से परेशान कई उम्मीदवारों ने वोटर का मिजाज भांपने के लिए भेदिए छोड़ रखे हैं। कच्चे रास्तों पर धूल उड़ाती प्रचार टीम की भीड़ मतदाताओं को कसम खिलाने में जुटी है। शोर गुजर जाने के बाद बात करने पर डांढ़ा खिरक गांव निवासी किसान संतोष गुर्जर कहते हैं, अब कसमें खिला रहे हैं। क्या करना है यह हमें पता है। 28 नवंबर को बताएंगे। सतीश धाकडक़हते हैं, तुम हमें बातों से खुश करो, हम भी बातों से तुम्हें खुश करेंगे।

फैसला इनके हाथ- रावत, गुर्जर, ब्राहमण और किरार की संख्या अधिक है। चुनाव जाति आधारित।

 

अंकगणित

कुल मतदाता2,18,258
युवा वोटर1,12,754
मतदान केंद्र265
2013 में ये थी तस्वीर
इतने वोट पड़े थे1,40,517
मतदान प्रतिशत70.04
डबरा: रोजगार की चिंता के बीच किस्सों पर चटखारे

सुबह के 11.35 बजे जनसंपर्क चल रहा है। मतदाता मुस्कुराते हुए हामी भरता है। टोली गुजरते ही वोटर अपने काम-धंधे में जुट जाता है। बुवाई चल रही है। सब उसमें जुटे हैं। बीच-बीच में कोई चुनाव की चर्चा छेड़ता है तो प्रत्याशियों के चर्चित किस्से सुनाकर सब हंस पड़ते हैं। रोजगार के लिए रोज ग्वालियर जाने वाले युवक नरेन्द्र व्यास, विनय कुमार बोहरे, अमित खटीक कहते हैं शुगर मिल बंद होने से बेरोजगारी बढ़ी है। इस बार सोच-समझकर ही देंगे वोट।
फैसला इनके हाथ- सर्वाधिक 29 हजार जाटव मतदाता हैं। इन्हें लुभाने 8 जाटव उम्मीदवार मैदान में। वोट बंटने के आसार। वैश्य, ब्राह्मण, कुशवाह की अहम भूमिका हो सकती है। बघेल, गुर्जर और रावत समाज भी महत्वपूर्ण फैक्टर है।

अंकगणित

कुल मतदाता2,17,812
युवा वोटर1,16,598
मतदान केंद्र255
2013 में ये थी तस्वीर
इतने वोट पड़े थे128543
मतदान प्रतिशत65.23

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