ओटीटी के कारण सिनेमाघरों पर असर पड़ रहा है क्या?
ओटीटी के कारण ऐसा नहीं हुआ है। कोविड के बाद दर्शकों के फिल्म देखने के ढंग में परिवर्तन आया है। अब थियेटर में वे तभी जा रहे हैं, जब उन्हें पता होता है कि भरपूर मनोरंजन होने वाला है या कोई बहुत ही मेले जैसा मजा मिलेगा।
मेरी ‘सिर्फ एक बंदा ही काफी है’ में एक गाली नहीं थी, 12वीं फेल में एक भी गाली नहीं है। गुलमोहर में भी एक भी गाली नहीं थी। हर फिल्म अपने तरह की कहानी कहती है, किसी में जरूरत होती है तो किसी में नहीं। कौन से प्रोजेक्ट में गाली रहेगी, किरदार पर निर्भर करता है।
बेतिया डिस्ट्रिक्ट टाउन के छोटे से बेलवा गांव से ताल्लुक रखता हूं। उतार-चढ़ाव वााला जीवन मेरी जिंदगी का अभिन्न हिस्सा हैं। पहले कुछ समय नहीं आता था लेकिन अब इस उम्र में सफलता और असफलता दोनों को संभालने में कोई मुश्किल नहीं होती। उम्र और अनुभव सभी तरह के उतार-चढ़ाव और शांत और वैज्ञानिक ढंग से संभालना सिखा देते हैं।
आपने कई बड़े निर्देशकों के साथ काम किया है, उस समय के सिनेमा और आज के ओटीटी प्लेटफॉर्म में क्या अंतर देखते हैं?
देखिए वैसे तो कोई अंतर नहीं है। ओटीटी में भी वैसे ही कैमरे इन्वॉल्व होता है। जबकि सिनेमाघर में व्यवसायिक तरीके का इस्तेमाल होता है। अब दुनिया खुल चुकी है और ओटीटी ह्रश्वलेटफॉर्म से सभी जगह मूवी उपलब्ध है। ओटीटी प्लेटफॉर्म पर काम करने में भी काफी मजा आ रहा है, इस पर क्वालिटी ही दर्शक खींच पाती है। वहीं क्वालिटी के दम पर चलने वाली फिल्में अब कम ही आ रही हैं। थियेटर में कारोबार के मापदंड पर मूवी का चलना तय होता है।
आगे आपका राजनीति में जाने का मन है क्या?
फिल्मों में राजनीति का रोल करने में मजा आता है जहां तक राजनीति में जाने की बात है तो मुझे 25 साल से इसके लिए ऑफर आ रहे हैं, लेकिन मैंने कभी स्वीकार नहीं किया। मेरी सम-सामयिक राजनीति पर काफी पकड़ हैं, मैं पढ़ता हूं। लोगों से संवाद, बहस करता हूं लेकिन मेरा मानना है कि बचपन में अभिनय के लिए मां-बाप, घर को छोड़ा था, इतना संघर्ष किया और जब सब चीजें अच्छी हो रही हैं तो सब छोड़कर एक अनजान राह पर चल पड़ूं ये उचित बात नहीं होगी।
ऐसा कौन सा किरदार है जिसके लिए अधिक तैयारी करनी पड़ी?
मैं अधिकतर वही किरदार करता हूं, जो मुझे बहुत परेशान करते हैं। मुझे लगता है कि सबसे अधिक चुनौती का सामना किलर सूप के किरदार के लिए करना पड़ा था क्योंकि एक ही दिन में तीन किरदार करना पड़ते थे। हॉलीवुड में ये काम मिलता तो लक्सीरियस में कर लेता। हाल ही में जोरम में आदिवासी किरदार करना भी अच्छा अनुभव रहा, जो तीन महीने की बच्ची को लेकर भागता है।
अब आप आगामी किन फिल्मों में दिखाई देंगे?
अभी हाल ही में मेरी किलर सूप आई है। मार्च में फैमिली मैन-3 की शूटिंग शुरू करेंगे। अभी साइलेंस-2 आएगी। साइलेंस-1 के बाद इसे बड़े और भव्य रूप में बनाया गया है। मेरे जीवन की सबसे बड़ी फिल्म भईया जी आने वाली है। कोशिश यही कि फिल्म को 24 मई को रिलीज करें। भईया जी मुख्य धारा की फिल्म है और थियेटर में रिलीज होगी और मैं इसमें सह-निर्माता भी हूं।
आगे सिनेमा में और कोई बदलाव देखने को मिलेगा क्या?
यह तो आने वाला समय बताएगा लेकिन, हम तो चाहते हैं कि थियेटर लगातार हाउसफुल जाएं। हमारे हिंदुस्तान के फिल्ममेकर ओरिजनल कहानियों को लेकर आएं ताकि, आम दर्शक अधिक से अधिक थियेटर में जाएं। लगातार फिल्में चलेंगी तो ही बनेंगी। निर्माता को कांफिडेंस मिलने पर ही वह पैसा लगाएगा।