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बड़ी खबर : अब बूंद-बूंद पानी को तरसेगा एमपी का ये सबसे बड़ा शहर

22 साल में भी नहीं ला सके चंबल से पानी,केंद्र व प्रदेश में है भाजपा की सरकार

ग्वालियरMar 26, 2018 / 02:28 pm

monu sahu

water crisis
ग्वालियर। जलसंकट शहर के लोगों की नई चिंता नहीं है। बल्कि, २२ साल पहले से इस पर चिंतन-मंथन किया जा रहा है। इतने वर्षों से समस्या के स्थायी समाधान के लिए एक्सपर्ट चंबल से पानी लाने का सुझाव देते आ रहे हैं, लेकिन शहर के जनप्रतिनिधि, प्रशासन और नगर निगम के अधिकारी इतने सालों से केवल प्लान और प्रोजेक्ट बनाने में लगे हैं। इसके लिए अंतिम प्रोजेक्ट २०१७ में २५९ करोड़ रुपए का बनाया गया था।
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जबकि, नगर निगम ने इस साल के बजट में इसके लिए केवल एक करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। उधर, राजस्थान के कई शहर चंबल का पानी लेने में कामयाब हो गए हैं।

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प्रोजेक्ट की लागत कम करने के लिए पाइप लाइन का साइज तक घटा दिया गया। इसके बावजूद न तो राज्य सरकार ने फंड दिया, और न ही केन्द्र सरकार ने। अब जब शहर में जलसंकट दिखने लगा है, तब भी जिम्मेदार इस दिशा में गंभीर दिखाई नहीं दे रहे हैं।
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हमसे पहले राजस्थान के यह शहर ले गए पानी
राजस्थान का शहर भीलवाड़ा, जिसकी आबादी करीब २४ लाख है। यहां १४७ किलोमीटर दूर कोटा के भैंसरोगढ़ से २०१६ में पानी पहुंचा। करीब ८ साल पहले बनी इस योजना के प्रथम चरण में ४.७१ लाख की आबादी को पानी पहुंचना शुरू हो गया है। दूसरा प्रोजेक्ट २०१८ में पूरा होना है। राजस्थान का दूसरा शहर बूंदी है। जिसकी आबादी १.११ लाख है। यह कोटा स्थित चंबल से ३५ किलोमीटर तक पानी ले गए हैं। करीब ७ साल पहले बनी इस योजना में ४९ करोड़ की लागत से वर्ष २०१६-१७ में पानी पहुंचा है। इससे करीब १९ गावों को भी पानी दिया जा रहा है।
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भोपाल में आया नर्मदा का पानी
१५ साल पहले भोपाल में जल संकट से निपटने के लिए तैयारी शुरू हुई। इसके लिए करीब ७०० करोड़ के प्रोजेक्ट शुरू हुए। जिसमें ४५० करोड़ रुपए की लागत से करीब ७० किलोमीटर दूर बुधनी शाहगंज से पाइप लाइन के जरिए वर्ष २०१२-१३ में नर्मदा का पानी भोपाल पहुंचा। शेष २५० करोड़ से शहर में वॉटर लाइन डालने का काम किया गया।

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