patrika.com पर प्रस्तुत है रानी लक्ष्मीबाई के बलिदान दिवस पर उनसे जुड़ी कुछ स्मृतियां…।
18 जून 1858 को रानी लक्ष्मीबाई का बलिदान दिवस है। रानी (jhansi ki rani) को वीरता, शौर्य और मातृभूमि की रक्षा के लिए अपने प्राणों को न्यौछावर करने के लिए हमेशा जाना जाता है। हर साल ग्वालियर में आयोजित विभिन्न आयोजनों में उनसे जुड़ी कुछ स्मृतियां प्रस्तुत की जाती हैं। सरकार के पास कुछ दस्तावेज हैं, जो उनके बारे में जिज्ञासा पैदा करते हैं। उनमें से एक है लक्ष्मी बाई का शादी का कार्ड, जो अपने आप में बेहद दुर्लभ है।
ऐसा था रानी की शादी का कार्ड
काशी के एक मराठी ब्राह्मण परिवार में 19 नवंबर 1828 को लक्ष्मी ने जन्म लिया था। उनका नाम मणिकर्निका (manikarnika) रखा गया था। सभी लोग प्यार से मनु कहने लगे थे। जब वे 14 साल की थी तभी झांसी के महाराजा गंगाधर राव नेवालकर से मई 1842 में उनका विवाह हुआ था। शादी की तैयारियां हुई। शादी के लिए आमंत्रण पत्र भी तैयार किया गया था। उस विवाह पत्रिका में शादी का शुभ-मुहूर्त भी लिखा गया था। यह आज भी सुरक्षित है। लक्ष्मीबाई के शस्त्र आज भी सरकार के पास रखे हुए हैं। उनसे जुड़ी यादें हर साल बलिदान मेले में रखे जाते हैं। यह दर्शकों के लिए रखे जाते हैं।
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छबीली बुलाते थे पेशवा
लक्ष्मी के पिता बिट्ठूर के पेशवा आफिस में काम करते थे और लक्ष्मी अपने पिता के साथ पेशवा के यहां जाती थी। पेशवा भी लक्ष्मी को अपनी बेटी जैसा ही मानते थे। बहुत सुंदर दिखने वाली यह लड़की बहुत ही चंचल थी। पेशवा उसे छबीली कहकर पुकारने लगे थे।
18 साल में बन गई थी शासक
लक्ष्मीबाई 18 साल की कम उम्र में ही झांसी की शासिका बन गई थी। उनके हाथों में झांसी का साम्राज्य आ गया था। ब्रिटिश आर्मी के एक कैप्टन ह्यूरोज ने लक्ष्मी के साहस को देख उन्हें सुंदर और चतुर महिला कहा था। यह वही कैप्टन था जिसकी तलवार से लक्ष्मी ने अपने प्राण त्यागे थे। इतिहास के पन्नों में यह भी मिलता है कि ह्यूरोज ने इसके बाद रानी को सेल्यूट भी किया था।