ग्वालियर से चलने वाली छह में से दो ट्रेनों के बेडरोल की व्यवस्था रेलवे ने ठेके पर दे दी है। इससे ठेकेदार अपनी मनमर्जी से इन बेडरोल की धुलाई करके ट्रेनों में पहुंचा रहा है, जिसमें चंबल एक्सप्रेस और बरौनी मेल शामिल है। यह व्यवस्था एक अप्रेल से बदली जा चुकी है, लेकिन रेलवे के जिम्मेदार अधिकारी इस ओर ध्यान तक नहीं दे रहे है। इसका खामियाजा यात्रियों को भुगतना पड़ रहा है।
रेलवे ने एक अप्रेल से ही दो ट्रेनों में सप्लाई के लिए ठेका कोलकाता की कंपनी को दिया है, लेकिन हर महीने यात्रियों की शिकायत पर लगभग एक लाख का जुर्माना ठेकेदार पर लगाया जा रहा है। यहां एक शिकायत पर रेलवे दो हजार का जुर्माना वसूलती है।
इन ट्रेनों में होती है सप्लाई
ग्वालियर से चलने वाली ट्रेनों में चंबल एक्सप्रेस, बरौनी मेल, सुशासन एक्सप्रेस, पूणे एक्सप्रेस, बुंदेलखंड एक्सप्रेस और रतलाम इंटरसिटी शामिल है, जिसमें से चंबल और बरौनी मेल को छोड़कर सप्लाई रेलवे की लॉन्ड्री से होती है।
कंबल की धुलाई एक माह में
रेलवे ट्रेनों में यात्रियों को कंबल उपलब्ध कराता है। इन कंबलों की धुलाई एक महीने बाद होती है। लेकिन इन ट्रेनों में चल रहे वेंडर इन कंबलों को जब यात्रियों से लेकर जमा करते है तो कंबल और चादर सहित अन्य सामान सीट से नीचे गिरा लेते है। यहीं खराब कंबल अगली ट्रेन से दूसरे यात्रियों को दे देते है। इसको लेकर रेलवे के जिम्मेदारों का ध्यान तक नहीं है। यात्रियों को निरंतर बेहतर सेवा देने के लिए प्रयासरत है। कहीं कुछ कमी पाई जाती है तो उस और बेहतर करने का निर्णय लेते है। इन ट्रेनों में क्वालिटी ठीक नहीं है तो इसे सुधारा जाएग। मनोज कुमार सिंहपीआरओ झांसी मंडल
बेडरोल से टॉवल रहती है गायब
ट्रेनों में हालत यह हो गए हैं कि यात्री सीट पर बैठने के बाद बेडरोल के लिए इंतजार करता है। कभी-कभी तो यात्री को खुद ही बेडरोल लेने के लिए कोच में वेंडर को ढूंढना पड़ता है। जब बेडरोल मिल जाता है तो इसमें से टॉवल गायब रहती है। यात्री को टॉवल के लिए कई बार कहना पड़ता है। उसके बाद टॉवल मिल पा रही है।