ग्वालियर

इस बार 14 नहीं इन 17 राज्यों की शान बढ़ाएगा ग्वालियर में तैयार तिरंगा, पढ़ें Indian National Flag के ये Interesting Facts

आज 15 अगस्त यानी स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर हम आपको बता रहे हैं ग्वालियर में तैयार किए जाने वाले तिरंगे के बारे में वो रोचक फैक्ट जिन्हें आपको जरूर जानना चाहिए…

ग्वालियरAug 14, 2023 / 06:01 pm

Sanjana Kumar

एमपी का ग्वालियर शहर आजादी के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में दर्ज है। वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई के शौर्य ने ग्वालियर को यह सौभाग्य दिया है। रानी के अलावा सरदार भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, सहित सैकड़ों रणबांकुरों के अज्ञात वास और शरण स्थली बनकर भी ग्वालियर ने इतिहास के सुनहरे अक्षरों में अपना नाम दर्ज कराया है और अब कई वर्षों से ग्वालियर में तैयार राष्ट्र ध्वज ‘तिरंगा’ भी ग्वालियर शहर की शान बढ़ा रहा है। आपको जानकर हैरानी होगी कि लाल किले पर हर साल फहराया जाने वाला तिरंगा भी ग्वालियर में ही तैयार किया जाता है। आज 15 अगस्त यानी स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर हम आपको बता रहे हैं ग्वालियर में तैयार किए जाने वाले तिरंगे के बारे में वो रोचक फैक्ट जिन्हें आपको जरूर जानना चाहिए…

– ग्वालियर देश का तीसरा और उत्तर भारत का इकलौता ऐसा शहर है जहां, भारत सरकार की झंडा संहिता का पालन करते हुए अधिकृत रूप से राष्ट्रध्वज का निर्माण किया जाता है।

– 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से लेकर, मंत्रालय, सचिवालय, न्यायालय सहित सभी शासकीय इमारतों पर ग्वालियर में तैयार झंडा ही फहराया जाएगा।

– इसीलिए देश के साथ ग्वालियर शहर के लिए यह गौरव का दिन होता है।

– आपको बता दें कि देश में केवल तीन जगह ऐसी हैं, जहां राष्ट्रध्वज या तिरंगा तैयार होता है।

– 1924 में महात्मा गांधी के चरखा आंदोलन से प्रेरित होकर मध्यप्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री तख्तमल जैन द्वारा 1930 में स्थापित मध्यभारत खादी संघ ग्वालियर पिछले कई वर्षों से राष्ट्रध्वज का निर्माण कर रहा है।

– खादी संघ के अध्यक्ष वरिष्ठ कांग्रेस नेता वासुदेव शर्मा बताते हैं कि पहले हम राष्ट्रध्वज के लिए कपड़ा बनाते थे और मुंबई और हुबली (कर्नाटक) को देते थे।

– क्योंकि राष्ट्रध्वज के लिए हम जो कपड़ा बनाते हैं वैसा कपड़ा कोई और नहीं बनाता है। ये हमारा दावा है।

– हम जब राष्ट्रध्वज के लिए इन दोनों केंद्रों से कपड़ा मंगाते थे तो, ये हमें महंगे दामों में देते थे उसके बाद हमने निश्चय किया कि हम खुद राष्ट्रध्वज बनाएंगे।

– फिर इसकी अनुमति लेने के प्रयास हुए, 16 जगहों से गुजरना पड़ा और हमें सफलता मिल गई।

– हमें आईएसआई और मार्का मिल गया और मध्यभारत खादी संघ ग्वालियर देश का तीसरा और मध्यप्रदेश का इकलौता ऐसा केंद्र बना, जहां राष्ट्रध्वज तिरंगे के लिए सूत कातने से लेकर इसके निर्माण तक की पूरी प्रक्रिया होती है।

– मध्यभारत खादी संघ ग्वालियर में आईएसआई प्रमाणित तीन साइज के तिरंगे तैयार किए जाते हैं, जिनमें 2 बाई 3 फीट, 4 बाई 6 फीट और 3 बाई साढ़े 4 फीट के झंडे शामिल हैं।

– इसके अलावा अब कुछ और साइज के झंडों की डिमांड आती है उसे भी तैयार किया जाता है।

– राष्ट्रध्वज को बनाने के लिए झंडा संहिता के मानकों का ख्याल रखना होता है, जिसमें कपड़े की क्वालिटी, रंग और चक्र का साइज बहुत मायने रखता है।

– उसके बाद खादी संघ जिले में इन सभी चीजों का टेस्ट किया जाता है, कुल 9 मानकों को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रध्वज तैयार किए जाते हैं।

– वासुदेव शर्मा बताते हैं कि अभी तक देश के 14 राज्यों मध्य प्रदेश के अलावा उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, दिल्ली, बिहार, झारखण्ड, पश्चिम बंगाल, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, पंजाब और छत्तीसगढ़ को ही झंडा भेजते थे।

– इस बार तीन और राज्यों जम्मू कश्मीर, गोवा और अंडमान निकोबार की भी डिमांड बढ़ी है।

– इसलिए इस बार 14 नहीं बल्कि देश के 17 राज्यों में राष्ट्रीय ध्वज भेजे जा रहे हैं।

– करीब 15 से 16 हजार झंडे इस बार मध्य भारत खादी संघ के कारीगरों ने तैयार किए हैं। – इन झंडों की अनुमानित कीमत एक करोड़ रुपऐ से कुछ ज्यादा बताई गई है।

ये भी पढ़ें: दोस्तों संग की पार्टी, रात में सोया तो फिर नहीं उठा
ये भी पढ़ें: 15 अगस्त को यूरोप की सबसे ऊंची चोटी पर तिरंगा फहराएगी MP के ये लाड़ली

Hindi News / Gwalior / इस बार 14 नहीं इन 17 राज्यों की शान बढ़ाएगा ग्वालियर में तैयार तिरंगा, पढ़ें Indian National Flag के ये Interesting Facts

Copyright © 2025 Patrika Group. All Rights Reserved.