ग्वालियर

सुल्तानगढ़ हादसा: PM में शवों को साथ हुई शर्मनाक हरकत, परिजनों के नहीं थमें आंसू चीखते रहे लोग

सुल्तानगढ़ हादसा: PM में शवों को साथ हुई शर्मनाक हरकत, परिजनों के नहीं थमें आंसू चीखते रहे लोग

ग्वालियरAug 18, 2018 / 11:10 am

Gaurav Sen

सुल्तानगढ़ हादसा: PM में शवों को साथ हुई शर्मनाक हरकत, परिजनों के नहीं थमें आंसू चीखते रहे लोग

ग्वालियर। जयारोग्य अस्पताल में मृतकों के शवों के साथ मानवीय संवेदनाओं की सौदेबाजी का कारोबार खुलकर चला है। सुल्तानगढ़ झरने पर हुए हादसे में मृतकों के पोस्टमार्टम के नाम पर पैसे वसूलने का मामला सामने आया है। मृतकों के परिजनों का आरोप है कि शवों का पोस्टमार्टम होने के बाद हमें सौंपने के लिए परीक्षण गृह के कर्मचारियों द्वारा 500-500 रुपए मांगे गए, लेकिन बाद में 350 रुपए लेने के बाद ही शवों को सौंपा गया। वहीं शुक्रवार को झरने के बहे आठ लोगों के शव निकाले गए हैं। मरने वाले सभी 18-22 साल के हैं और ग्वालियर निवासी हैं। बाकी की तलाश जारी है।

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पोस्टमार्टम हाउस के कर्मचारियों ने परिजनों से कहा कि शव को लपेटने के लिए कपड़ा, पॉलीथिन, रस्सी, बिसरा रखने के लिए डिब्बा और कैमिकल इस्तेमाल होता है यह सामान परिजन बाजार से ले आएं या पैसे दें। मृतकों के परिजन का कहना है कि सौदेबाजी डेड हाऊसकर्मियों ने शव का परीक्षण करने के बाद की। इन लोगों से मांगे पैसे : भंवर सिंह कुशवाह (अभिषेक का चचेरा भाई), देवेन्द्र कुशवाह (ऋषिकांत के परिजन) प्रेम सिंह (लोकेन्द्र के रिश्तेदार)।

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इस तरह चली वसूली

शव परीक्षण के बाद डेड हाऊस के अंदर से कर्मचारी बाहर निकल कर मृतक के परिजन को शव लेने के लिए बुलाता था। मृतक का नाम सुनकर उसके घर के लोग कर्मचारी के पास पहुंचते तो वह धीरे से उनसे 500 रुपए मांग रहा था। सवाल जवाब करने पर पॉलीथिन से लेकर बिसरा रखने के डिब्बा लाने का हवाला देता। मातमजदा लोग बहस करने की बजाए पैसा चुकाते रहे।

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परिजनों से सौदेबाजी उनकी रजामंदी पर

डेड हाऊस पर शवों के परिजनों से सौदेबाजी उनकी रजामंदी पर रही होगी। शव को पुलिस परीक्षण के लिए लाती है। उसे ही शव सुपुर्द किया जाता है। शव परीक्षण के लिए किसी से पैसा नहीं लिया जाता। उसमें इस्तेमाल होने वाला सारा सामान विभाग मुहैया कराता है। पॉलीथिन, रस्सी, यह सामान पूरे प्रदेश में पोस्टमार्टम विभाग को नहीं मिलता है। कई बार लावारिस शवों को भी सामान देना पड़ता है इसलिए इसे रखा जाता है।
सार्थक जुगरान, विभागाध्यक्ष, फोरेंसिक विभाग जेएएच

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