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environmental awareness फैसलों की हरियाली के किस्से पढा रही इंग्लैंड की यूनिवर्सिटी

वर्तमान समय में देशभर के शहरों में रिकॉर्ड तोड़ गर्मी हो रही है। इस गर्मी ने पेड़ों की याद दिला दी है, लेकिन मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में पदस्थ जस्टिस आनंद पाठक ने इस खतरे को पहले ही पहचान लिया था। उन्होंने आठ साल में अपने फैसलों से 26 हजार पौधे ग्वालियर चंबल […]

ग्वालियरJun 03, 2024 / 11:29 am

Balbir Rawat

वर्तमान समय में देशभर के शहरों में रिकॉर्ड तोड़ गर्मी हो रही है। इस गर्मी ने पेड़ों की याद दिला दी है, लेकिन मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में पदस्थ जस्टिस आनंद पाठक ने इस खतरे को पहले ही पहचान लिया था। उन्होंने आठ साल में अपने फैसलों से 26 हजार पौधे ग्वालियर चंबल रीजन में रुपवा दिए। पौधे पेड़ बने या नहीं। इसका भी फीडबैक लिया।

वर्तमान समय में देशभर के शहरों में रिकॉर्ड तोड़ गर्मी हो रही है। इस गर्मी ने पेड़ों की याद दिला दी है, लेकिन मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में पदस्थ जस्टिस आनंद पाठक ने इस खतरे को पहले ही पहचान लिया था। उन्होंने आठ साल में अपने फैसलों से 26 हजार पौधे ग्वालियर चंबल रीजन में रुपवा दिए। पौधे पेड़ बने या नहीं। इसका भी फीडबैक लिया।

वर्तमान समय में देशभर के शहरों में रिकॉर्ड तोड़ गर्मी हो रही है। इस गर्मी ने पेड़ों की याद दिला दी है, लेकिन मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में पदस्थ जस्टिस आनंद पाठक ने इस खतरे को पहले ही पहचान लिया था। उन्होंने आठ साल में अपने फैसलों से 26 हजार पौधे ग्वालियर चंबल रीजन में रुपवा दिए। पौधे पेड़ बने या नहीं। इसका भी फीडबैक लिया। जिन लोगों को पौधे लगाने की शर्त पर जमानत मिली, उनके मन का भी भाव बदला है। कुछ लोग ऐसे भी सामने आए कि हर साल पौधे लगाने हैं। जस्टिस आनंद पाठक के फैसलों से पर्यावरण को बचाने की जो पहल हुई, उस पर इंग्लैंड की क्रेनफील्ड यूनिवर्सिटी ने शोध पत्र तैयार किया और वहां के विद्यार्थियों को इन फैसलों के बारे में पढाया जा रहा है। पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए उन्होंने अपने सरकारी आवास नाम भी पारिजात (हरसिंगार ) रखा है। उन्होंने जो पौधे लगवाए, उनका फीडबैक भी लिया। यह कार्य करने से अपराधी के मन के भाव में बदला हुआ है। कुछ ने पौधा लगाने का उद्देश्य बना लिया है।
जस्टिस आनंद पाठक इंदौर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के सचिव रह हैं। सात अप्रेल 2016 को हाईकोर्ट जिस्टस बने। जस्टिस बनने के बाद ग्वालियर बैंच में पदस्थ हुए। उन्होंने न्यायाधीश बनने की शपथ ली तो अपने फैसलों में ऐसा प्रण लिया, जिससे पर्यावरण संरक्षित हो सके। अपने फैसलों में लिखा कि अपराध व हिंसा को प्रतिकार करने का तरीका जनसेवा है। जनसेवा ने भी अपराधियों के मन का भाव बदला। उन्होंने हर फाइल को व्यक्ति की लाइफ माना, क्योंकि उसमें होने वाला फैसला उसके जीवन को बदलता है।

जनसेवा की तीन पहल, जिसे मिली पहचान

– जस्टिस पाठक ने सबसे पहले पौधा लगाने का आदेश दिया था। इसकी शुरुआत एक अधिवक्ता से की थी। अधिवक्ता की गलती से पक्षकार का केस डिफॉल्ट में खारिज हुआ था। री स्टोर कराने के लिए जब दुबारा आवेदन लगाया, अधिवक्ता को पौधे लगाने के लिए कहा। इस पहले अधिवक्ताओं ने अपनाया तो पक्षकारों के सामने भी शर्त रखी। इस कारण 26000 पौधे लग गए।
– ग्वालियर अंचल में लगातार जलस्तर गिर रहा है। गिरते जलस्तर को देखते हुए जमानत की शर्त में वाटर हार्वेस्टिंग बनाने का आदेश दिया। आरोपियों ने घर में वाटर हार्वेस्टिंग बनाई।

– अस्पताल की ओपीडी में आने वाले मरीजों की सेवा की शर्त भी लगाई। जमानत मिलने के बाद अस्पताल में सेवा करने पहुंचे। जिन्होंने सेवा की, वह अस्पताल के बारे में सीख गए। गुना क्षेत्र में स्थानीय भाषा डॉक्टरों को समझने में दिक्कत आती थी। जनसेवा करने गया आरोपी मरीज व डॉक्टर के बीच के संवादक बन गए।
– सेना कल्याण कोष, कोविड रिलीफ फंड में भी पक्षकारों से पैसे दान कराए, जिससे जरूरतमंदों की सेवा हो सके।

– अधिवक्ताओं को अंधाश्रम, मर्सी होम में भी जनसेवा को भेजा। उनके अनुभव भी जाने कि वहां की क्या जरूरत है।

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