बंगले पर होमगार्ड का एक-चार का गार्ड लगा है, सुबह ओमप्रकाश की मुख्य गेट पर ड्यूटी थी। बाकी क्वार्टर में थे। करीब 10 बजे प्रताप दूसरे गेट से होते हुए बगिया के रास्ते से बदली करने आ रहा था तभी घटना घटी। अगर वह ३० सेकंड पहले पहुंच जाता तो शायद उसे ऐसा करने से रोक देता।
पहले भी कर चुका सुसाइड का प्रयास
ओमप्रकाश कम बात करता था, परेशानी मन में ही रखे रहता था। सूत्र बताते हैं करीब एक साल पहले उसने मौ में फांसी लगाने का प्रयास किया था, लेकिन परिजन ने उसे बचा लिया। इसके अलावा एक बार पत्नी से झगड़ा होने पर उसे पीटा था, लेकिन रिपोर्ट नहीं की।
कांप रहे थे हाथ
घटना से करीब 10 मिनट पहले ओमप्रकाश ने बंगले के दूसरे गेट पर सैनिक ब्रजपाल और माली सिंकदर के साथ चाय पी थी। उस समय उसके हाथ कांप रहे थे। ब्रजपाल ने कहा भी हाथ क्यों कांप रहे है, लेकिन वह टालमटोल कर मुख्य गेट पर चला गया। कुछ देर बाद ही उसने गोली मार ली।
ओमप्रकाश ने सुसाइड नोट में लिखा, घरवाले साथ देते तो पत्नी को मार देता
एक पेज के सुसाइड नोट में ओमप्रकाश ने लिखा कि वह आत्महत्या करना चाहता है, क्योंकि मेरी पत्नी ने दूसरी शादी कर ली है। तीनों बच्चों से कहा कि मम्मी और बहू पर कभी विश्वास मत करना। कमिश्नर और डीआइजी से इन दोनों पर एफआइआर कराने का जिक्र किया। उसने लिखा कि परिवार वालों ने सहयोग नहीं दिया, इसलिए मौत को गले लगाना पड़ा, नहीं तो पत्नी को मार देता। विजय सिंह पर धोखे देने की बात लिखते हुए कहा कि तुमने मेरे साथ धोखा किया है, तुम्हारे साथ भी धोखा होगा। कमाल सिंह, सेहगल यादव से कहा कि तुम्हारी बहन ने शादी कर ली है, इसको मार देना। तीनों बच्चों को अपने साथ ले जाना। आखिर में तीनों बच्चों से विनोद और उसकी पत्नी का विश्वास न करने की बात लिखी। सुसाइड नोट में जिन लोगों के नाम दिए गए हैं उनके बारे में परिजन से पूछताछ कर रही है।
परिजन भी हैरान
खबर मिलते ही कमिश्नर बीएम शर्मा बंगले से बाहर आ गए। वह भी हैरत में थे कि आखिर उसने ऐसा क्यों किया। वहीं साथी भी अचंभित थे कि सुबह तक सब ठीक था, अचानक यह क्या हो गया। हादसे की खबर मिलते ही सीएसपी धर्मराज मीणा, आरआइ देवेन्द्र यादव और विश्वविद्यालय थाना पुलिस मौके पर पहुंची। जांच-पड़ताल कर शव पोस्टमार्टम हाउस भेजा।
कमांडेंट शव को लेकर हुए रवाना
पीएम हाउस पर होमगार्ड के डिस्ट्रिक कमांडेंट राजपाल मीना अपनी टीम के साथ पहुंचे। ओमप्रकाश के शव को होमगार्ड वाहन से उसके गांव मौ रवाना हुए। शाम को अंतिम संस्कार के बाद ही लौटकर आए।
गोली की आवाज सुनकर पहुंचा
मैं बगिया में काम कर रहा था। सैनिक प्रताप बदली करने मुख्य गेट पर जा रहा था तभी गोली की आवाज आई। दौड़कर पहुंचे तो ओमप्रकाश जमीन पर खून से लथपथ पड़ा था। किसी ने सोचा नहीं था वह ऐसा कदम उठा लेगा। बस 30 सेकंड बाद बदलने वाली थी उसकी ड्यूटी।
सिंकदर सिंह, माली