ग्वालियर। ग्वालियर-चंबल अंचल में इरीगेशन इंजीनियरिंग में चमत्कार मानी जा रही जौरासी इरीगेशन टनल (सिंचाई सुरंग) सोमवार को तैयार हो गई। टनल में अगले एक-दो दिन में पानी छोड़े जाने की उम्मीद है। जल सुरंग इतनी बड़ी है कि हितैची मशीन या हाथी जैसे बड़े जानवर आसानी से इसमें से गुजर जाए। टनल को दो हिस्सों में बांटकर बनाया गया, ताकि किसी भी जहरीली गैस का दुष्प्रभाव न पड़े। समूची सुरंग जौरासी पहाड़ के बीच से गुजरी है।
लाना था 15 मार्च तक पानी
ये जल सुरंग 2.86 किमी लंबी, 4 मीटर चौड़ी और 3.80 मीटर ऊंची है। सुरंग की जल बहाव क्षमता 21 क्यूसेक प्रति सेकेंड है। प्रदेश में इस तरह की ये तीसरी व ग्वालियर-चंबल में ये पहली सिंचाई सुरंग है। 15 मार्च तक इस टनल में पानी लाने की योजना थी। सोमवार-मंगलवार की दरम्यानी रात पानी लाने की तैयारी मुकम्मल कर ली गई थी।
ऐसे आएगा ग्वालियर में पानी
१. मड़ीखेड़ा बांध के अतिरिक्त पानी को मोहिनी पिकअप वियर से हरसी बांध में लाया जाएगा। इसके बाद हरसी हाईलेवल नहर के जरिए जौरासी टनल पर पहुंचाया जाएगा।
२. जौरासी टनल से एक अडूपुरा स्केप (आपातकाल में पानी बहाने का सिस्टम) में पानी डाला जाएगा। ये पानी आठ किमी लंबे प्राकृतिक नाले से बहता हुआ रमौआ में आएगा।
फैक्ट फाइल:
१. जौरासी सुरंग ग्वालियर शहर के एक तिहाई हिस्से के भूगर्भीय जल में इजाफा करेगी।
२. रमौआ बांध में पानी आ जाने से खतरनाक जोन में शामिल मुरार ब्लॉक को नया जीवन मिलेगा।
३. सुरंग में रमौआ के लिए शिवपुरी के मड़ीखेड़ा बांध से पानी भरा जाना है।
४. मुरार ब्लॉक में वर्तमान में 83 करोड़ की फसलें मंडी तक पहुंचती हैं। कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक तीन सौ करोड़ की पैदावार में इजाफा संभव है।
“जौरासी टनल का निर्माण पूरा हो चुका है। रमौआ सहित दूसरी जगह पर पानी छोडऩे के लिए सिस्टम भी तैयार है। पानी छोड़े जाने की निर्धारित तिथि 15 मार्च तय थी। अब मंगलवार को अफसरों की टीम सुरंग का मुआयना करके तिथि तय करेगी।”
जीके साहू, एसडीओ जल संसाधन, जौरासी टनल, हरसी हाईलेवल
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