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ग्वालियर

ब्रोकन खिड़की का सिद्धांत देकर कोर्ट ने सुनाया अपना फैसला, जिला कोर्ट ने किया था बरी अब पहुंचे सलाखों के बीच

high court gwalior order of sentenced to two accused of molestation :हाईकोर्ट ने दोनों को दोषी पाया और तीन-तीन साल के कारावास की सजा सुनाई। विभिन्न धाराओं में 15- 15 हजार रुपए का अर्थदंड भी लगाया।

ग्वालियरFeb 04, 2020 / 05:31 pm

Gaurav Sen

high court gwalior order of sentenced to two accused of molestation

high court gwalior order of sentenced to two accused of molestation

श्योपुर/ग्वालियर…

एमपी हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने नाबालिग के साथ छेड़छाड़ के मामले में जिला न्यायालय श्योपुर के आरोपियों को दोषमुक्त करने के आदेश को पलट दिया है। हाईकोर्ट ने दोनों को दोषी पाया और तीन-तीन साल के कारावास की सजा सुनाई। विभिन्न धाराओं में 15- 15 हजार रुपए का अर्थदंड भी लगाया। जस्टिस आनंद पाठक ने कहा कि वास्तव में शारीरिक यौन उत्पीडऩ के खतरे से कहीं अधिक व्यापक और अपमानजनक सड़क पर उत्पीडऩ है।

जज ने अपने आदेश में ब्रोकन विंडो (टूटी हुई खिड़की) सिद्धांत का उल्लेख किया। कहा- जिस तरह इमारत में टूटी हुई खिड़की बिना मरम्मत किए छोड़ दी जाती है, तो जल्द ही सभी खिड़कियां टूट जाती हैं। कोर्ट ने कहा कि यह व्यवस्था रखरखाव से संबंधित पुलिस का सिद्धांत है, परंतु यह सिद्धांत अभियोजन के साथ-साथ न्याय निर्णयन के लिए भी प्रासंगिक है क्योंकि छोटे अपराधों के लिए उचित दंड, बड़े अपराधों को घटित होने से रोकता है।

नाबालिग छात्रा ने आरोपी संतोष शर्मा और धर्मेंद्र गौतम के खिलाफ 6 अगस्त 2017 को छेड़छाड़ और पीछा कर रास्ता रोकने, अश्लील हरकत करने और जान से मारने की धमकी देने की शिकायत पुलिस थाना कराहल में की थी। जिला न्यायालय ने आरोपियों को बरी कर दिया था। इस आदेश के खिलाफ नाबालिग छात्रा ने हाईकोर्ट में अपील की थी, जिसे कोर्ट ने स्वीकार किया और आरोपियों को दोषी पाया।

दंड से बचने की प्रवृत्ति और अधिक अपराध के लिए प्रेरित करती

कोर्ट ने आदेश में कहा कि महिलाओं के खिलाफ अपराधों की संख्या बढ़ती जा रही है। अभियोजन की कमी के कारण आरोपियों के मन में यह धारणा पनपती है कि दंड से बच जाएगा। यह प्रवृत्ति उन्हें और अधिक गंभीर अपराध करने के लिए प्रेरित करती है। कोर्ट ने उदाहरण देते हुए बताया कि यातायात के सामान्य नियमों के उल्लंघन को बिना दंड के नजरअंदाज कर दिया जाए तो यह उल्लंघन गंभीर अपराधों जैसे हत्या, हत्या का प्रयास या अंधाधुंध तरीके से गोलीबारी करने जैसे अपराधों में परिवर्तित हो जाते हैं। इसी तरह यदि नाबालिग लड़कियों के साथ किए जाने वाले उत्पीडऩ को यदि संज्ञान में नहीं लिया जाए या साक्ष्यों का सही तरीके से विश्लेषण नहीं किया जाए और अपराधी दोषमुक्त हो जाए, तो यह अपराधी को गंभीर अपराध करने के लिए प्रोत्साहित करता है।

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