आपको बता दें कि, कॉलेज संचालक प्रशांत वर्मा के बेटे अभय उर्फ प्रखर परमार की हत्या के आरोपी ग्वालियर नगर निगम के विनियमित कर्मचारी करण वर्मा और उसके साथी भनू वर्मा की बुधवार को गिरफ़्तारी की गई थी। इसके बाद शुक्रवार को निगम प्रशासन ने आरोपी को उसके पद से बर्खास्त कर दिया था। इसी के साथ साथ शनिवार को जिला प्रशासन ने सरकारी जमीन पर बने आरोपियों के मकान भी जमीदोज कर दिये हैं।
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हत्या के आरोपियों के मकानों पर चला प्रशासनिक हथौड़ा
आपको बता दें कि, शनिवार की सुबह ग्वालियर जिला प्रशासन और नगर निगम की टीम इंद्रा नगर बहोड़ापुर पहुंची, जहां आरोपी करण वर्मा और उसके सहयोगी भानु वर्मा के अवैध मकान बने हुए थे। नगर निगम के मदाखलत अमले ने पहले करण के तीन मंजिला मकान को हथोड़े से जमीदोज किया। इसके बाद भानु वर्मा के मकान को भी तोड़ दिया। अधिकारियों ने कहा कि दोनों मकान सरकारी जमीन को कब्ज़ा कर बनाये गए थे, जांच के बाद प्रशासन ने 29 दिसंबर को नोटिस चस्पा किये थे और आज कार्यवाही को अंजाम दिया गया। बताया जा रहा है कि, तोड़े गए मकानों की कीमत लगभग 50 लाख रुपए के आसपास थी।
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बिल्डिंग परमिशन के पैसे हड़पे, मांगने पर की हत्या
गौरतलब है कि कॉलेज संचालक प्रशांत परमार की स्कूल बिल्डिंग की परमिशन के लिए करण वर्मा ने 8 लाख 30 हजार रूपए लिए थे, लेकिन परमिशन के फर्जी कागज बनाकर दिए जब इसका खुलासा हुआ तो प्रशांत परमार ने पैसे वापस मांगे, लेकिन करण की नीयत पैसों पर बिगड़ गई उसने पिछले मंगलवार को प्रशांत के बेटे अभय उर्फ प्रखर को निगम कार्यालय बुलाया और अपने साथ भानु वर्मा और गौरव उर्फ़ हर्ष सक्सेना के साथ गाड़ी में ले जाकर उसका गला दबाकर हत्या की, फिर शव पर गोलिया भी मार दी। यही नहीं शव को झांसी के पास ले जाकर जलाकर फेंक दिया।