बेरोजगारों के लिए स्किल्स डवलपमेंट, हैंडीक्राफ्ट, हैंडलूम सेंटर, नए उद्यमियों के लिए सेंटर, छत्री मंडी का पुन: विकास होगा, हॉकर्स के लिए स्मार्ट कार्ड और ग्वालियर हैबीटेट सेंटर बनेगा।
अधोसंरचना
24 घंटे वाटर सप्लाई, पानी का पुन: उपयोग और वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट, 24 घंटे विद्युत,सीवर, डे्रनेज के साथ ही मल्टीपरपज डक्टिंग, गैस पाइप लाइन, कचरा प्रबंधन, एलईडी लाइटिंग, डिजिटलाइजेशन और हाउसिंग के लिए भी पॉटरीज की जगह पर प्रावधान किए गए हैं।
” सर्वे के आधार पर महाराज बाड़ा का चयन 803 एकड़ क्षेत्र को रेट्रोफिटिंग अन्तर्गत किया गया”
इन चौराहों पर होगा डवलपमेंट
बड़े चौराहे -12
छोटे चौराहे – 27
कुल शामिल गंदी बस्ती- 18
शहर में यातायात पर
-बस स्टॉप- 500, बस टर्मिनल- 5, पीबीएस डॉकिंग स्टेशन रेल के डिब्बे और इंजन एसटीडी गैर एसी बसें-129
-एसी बसें-15, ई-बसें कोर सिटी क्षेत्र मार्गों के लिए-10, बसों में वाई-फाई सुविधा, पीबीएस के लिए बाइकें – 2000
-आईसीटी अवयव ईटीवीएमएस और पीआईएस पर बस और बस स्टॉपेज पीएस और वीएचएमएस बस के लिए
बस में आपातकालीन बटन, सीसीटीवी कैमरा
अब क्या
एसटीपी का गठन कलेक्टर की अध्यक्षता में किया जाएगा। जिसमें निगम और अन्य विभागों के अफसर और जनप्रतिनिधियों को शामिल किया जाएगा। यही कंपनी स्मार्ट सिटी के सभी प्रोजेक्ट्स के लिए निगरानी करेगी।
डीपीआर
एसटीपी द्वारा स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट्स के लिए डीपीआर के लिए कॉल किए जाएंगे। डीपीआर बनाए जाने का काम होगा। डीपीआर के बन जाने के बाद उसकी स्वीकृति और फिर काम शुरू हो सकेंगे। इसमें भी कम से कम 6 माह का समय लग ही जाएगा।
अधिग्रहण
बसे बड़ा प्रोजेक्ट पॉटरीज की जमीन पर लगेगा, जिसे अधिग्रहित करने के साथ ही छत्री मंडी, कोतवाली आदि स्थानों के अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू होगी।
स्मार्ट सिटी के लिए चुनौती
स्मार्ट सिटी में शहर का नाम शामिल तो हो गया। लेकिन अब भी सपनों को साकार करने में कई चुनौतियों से गुजरना होगा। योजना के तहत प्रतिवर्ष केंद्र सरकार 100 करोड़ और राज्य सरकार 100 करोड़ रुपए का अंशदान देगी। निगम को संपत्तिकर, जलकर, पार्किंग, दुकान भाड़ा, चुंगी पूर्ति आदि माध्यमों से प्राप्त होने वाली आय को शत प्रतिशत वसूली कर फंड जुटाना होगा तभी 2300 करोड़ रुपए के सपने सच हो सकेंगे।
यहां विरोध की राजनीति
शहर में विकास कार्यों के प्रति अफसर लगातार असहयोग की नीति अपनाए हुए हैं। वहीं कम वसूली करने वाले कर संग्रहक और एपीटीओ के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का विरोध भी निगम कर्मचारियों ने करना शुरू कर दिया है। अगर स्मार्ट सिटी का सपना साकार करना है तो वसूली भी 100 प्रतिशत करनी होगी। एेसे हालात में निगम के अफसर और कर्मचारियों का सपोर्ट मिलना भी बहुत जरूरी है।