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ग्वालियर

स्वच्छ सर्वेक्षण-2022 स्वच्छता में पिछली साल से तीन पायदान और पिछड़े हम

स्वच्छ सर्वेक्षण में देशभर में 53वा स्थान, 10 लाख की आबादी के शहरों में मिला 18वां स्थान

ग्वालियरOct 02, 2022 / 01:04 pm

monu sahu

nagar nigam gwalior

स्वच्छ सर्वेक्षण-2022 स्वच्छता में पिछली साल से तीन पायदान और पिछड़े हम

ग्वालियर। स्वच्छ सर्वेक्षण-2022 के नतीजों में ग्वालियर के हाथ इस बार निराशा लगी है। सफाई व्यवस्था पर हर साल 65 करोड़ों रुपए खर्च करने और सफाई के नाम पर शहरवासियों पर शुल्क(गार्बेज शुल्क) थोपने के बाद भी स्वच्छता सर्वेक्षण के नतीजों में ग्वालियर पिछड़ गया है। ओवर ऑल रैंकिंग यानी देश के स्तर पर ग्वालियर को 2021 की तुलना में तीन स्थान नीचे खीसकने के साथ ही 18 वें स्थान रहना पड़ा। जबकि केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, प्रभारी मंत्री तुलसी सिलावट,सांसद विवेक नारायण शेजवलकर,मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर व ऊर्जा मंत्री प्रद्दुमन सिंह तोमर ने स्वच्छता रैंकिंग में स्थान दिलाने के लिए दिनरात मेहनत की। लेकिन निगम के जिम्मेदारों की लापरवाही से रैकिंग बढ़ाने की वजह लगातार फिसलती जा रही है। वहीं कचरा प्रबंधन की विफलता के चलते देश के साथ साफ शहरों में कई शहर हमसे आगे भी निकल गए।10 लाख की आबादी वाले स्वच्छता सर्वेक्षण रैंकिंग 2022 में 7500 अंकों में से 5205 अंक मिले और ग्वालियर 18वीं रैंकिंग पर पहुंच गया। वहीं देशभर के शहरों की बात करें तो ग्वालियर को बीते वर्ष 42वीं रैंकिंग से फिसलकर 53वें नबंर पर आ गया है। बता दें कि बीते वर्ष 2021 में ग्वालियर को 6000 में से 4523 नंबर मिले और 13वां स्थान मिला था और 2020 में 13वां स्थान मिला था। लेकिन इस बार रैंकिंग बढऩे की जगह तीन पायदान और अधिक नीचे चली गई। इससे अब निगम के प्रयासों पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। क्योकि स्वच्छता सर्वे के दौरान निगम शहर में जिस तेजी से स्वच्छता अभियान चलाया जाता है वह सर्वे टीम के जाते ही ठप हो जाता है और कर्मचारी फील्ड में जाना ही बंद कर देते है। इससे लोगों को फिर से गंदगी से जूझना पड़ता पड़ता है।
आखिर क्यो पिछड़े हम, ऐसे समझें……
-शहर में कचरा कलेक्शन का कोई विशेष इंतजाम नहीं।
-लैंडफिल साइट बीच-बीच में लंबे समय तक बंद रहना और लैंडफिल साइड पर कचरे के पहाड़ व लाखों टन कचरा पड़ा हुआ है।
-कचरे से न जैविक खाद बनी और न ही बिजली बनाने की व्यवस्था की गई।
-100 प्रतिशत डोर टू डोर कचरे का सेग्रीगेशन नहीं हो सका।
-कचरा कलेक्शन सेंटर अधिकतर बंद रहे और गीला-सूखा कचरे के कोई इंतजाम नहीं थे।
-ब्यूटीफिकेशन में सड़कों को बेहतर नहीं बना सके। सर्वे के दौरान ही कई सड़के खराब मिली और धूल भी उड़ती रही।
-सिटीजन फीडबैक में पिछले साल सहित अभी भी जागरुकता की कमी।
-वाटर बॉडी में टीम को लगातार गंदी मिली और वाटर बॉडी के माध्यम से इनकम जनरेशन का काम भी बेहतर तरीके से नहीं हो पया।
-नाले-नालियों की ठीक से सफाई नहीं हुई।
-वाहनों में जीपीएस सिस्टम अधिकतर फेल ही रहा और मॉनिटरिंग भी ठीक से नहीं हो सकी।
-कचरे के ठीए को भी खत्म नहीं किए गए।
-सोर्स सेग्रीकेशन नहीं होना।
-सफाई कर्मचारी द्वारा बार-बार हड़ताल पर जाना।

2023 में इन पर देना होगा विशेष ध्यान
-कचरा वाहन बढ़ाए जाए।
-शहरवासियों को अलग-अलग कचरा डालने की आदत डलवाई जाए।
-प्रत्येक वाहन में चार तरह के डिब्बे लगाकर कचरा एकत्रित।
-डंपिंग साइट पर पार्क बनाए जाए।
-लैंडफिल साइड व कचरा ट्रांसफर स्टेशन लगातार चालू रखें।
-इधर-उधर थूकने की आदत से शहरवासियों को जागरूक करना।
-नए-नए नावाचार के रूप में कई काम किए जाए।
-100 प्रतिशत डोर टू डोर कचरा कचरा कलेक्शन व सेग्रीगेशन किया जाना चाहिए।
इंदौर टूर, सिंधिया का सफाई अभियान भी नहीं आया काम
-स्वच्छता सर्वेक्षण की तैयारियों को लेकर करीब 100 लोगों का दल इंदौर भेजा गया। लेकिन उसके बाद भी शहर में साफ सफाई का सबक नहीं लिया।
-स्वच्छता सर्वेक्षण को लेकर केंद्रीय मंत्री सिंधिया व प्रभारी मंत्री तुलसी सिलावट व ऊर्जा मंत्री सहित कई नेताओं ने शहरभर में झाडू लगाई इसके बाद भी फिसल गए।
-शहर में साफ सफाई को लेकर विशेष अभियान भी चलाया गया और करोड़ों रुपए की बर्बादी भी की गई।
यहां हुई चुक
-ओडीएफ प्लस प्लस के बाद वाटर प्लस में भी चुके।
-गारबेज सेवन स्टार का दावा करने के बाद थ्री स्टार तक सिमटे।

स्वच्छता सर्वेक्षण में साल भर में कुल खर्च
-सफाई व्यवस्था से जुड़े अधिकारी-कर्मचारी व वाहन चालक के वेतन पर कुल खर्च-41 करोड़
-सफाई कार्य में लगे वाहनों की मरम्मत पर-02 करोड़
-वाहनों के डीजल पर -14 करोड़
-ठेले व डस्टबिन पर-50 लाख
-करीब 90 वाहन किराए पर-05 करोड़
-डस्टबिन, ठेले आदि सुधार पर-10 लाख
-डॉक्युमेंटेशन के लिए एंजेसी पर-1.5 करोड़
-पेटिंग व होर्डिंग के कार्य पर -02 करोड़ (करीब)
स्वच्छता सर्वे में कहा कितने अंक मिले

सिटीजन वाइस : 2250 में से 1716 अंक मिले : स्वच्छता सर्वे के दौरान सिटीजन वाइस के लिए निगम ने स्मार्ट सिटी के कंट्रोल एण्ड कमांड सेंटर में इंतजाम करने के साथ हीे हेल्प लाइन नंबर व शहरभर में होर्डिंग भी लगाए। निगम द्वारा आमजन से स्वच्छता के एप भी डाउनलोड कराए गए। यही वजह रही कि ग्वालियर को सिटीजन वाइस में 2250 में से 1716 अंक मिले।
सर्विस लेवल प्रोगरेस (एसएलपी) : 3000 में से 2289 अंक मिले : स्वच्छता सर्वेक्षण में सर्विस लेवल प्रोगरेस में 2289 अंक ग्वालियर को मिले है। शहर से कचरा उठाना,सीवरेज के ढक्कन और जैविक खाद तैयार करना था। लेकिन एक भी कार्य सही ढंग से नहीं हुआ। यही कारण रहा कि नंबर कटे।
सर्टी फिकेशन : 2250 में से 1250 अंक मिले : स्वच्छता सर्वेक्षण में 2250 अंकों में से गारबेज फ्री सिटी के 1250 में से 600 अंक मिले और ओडीएफ प्लस-प्लस में भी 600 अंक ग्वालियर को मिले है। इसमें निगम की काफी खराब स्थिति रही और गारबेज व वाटर प्लस में 600-600 अंक से ही संतुष्टि करनी पड़ी।
सबसे अच्छा प्रदर्शन (अंकों के आधार पर) : सिटीजन वाइस में ग्वालियर देशभर में छटवे नंबर पर चल रहा था और उसे 2250 में 1716 अंक प्राप्त हुए।

यहां पड़े कमजोर (अंकों के आधार पर) : शहर में खुले में सीवरेज बहना,कचरा नहीं उठाए जाना व जैविक खाद् नहीं बनाए के सर्विस लेवल प्रोगरेस 2250 में से 2289 अंक प्राप्त हुए। जबकि सर्टी फिकेशन में वाटर बॉडी में गंदगी मिलना और सीवर का मिलान नहीं होने से 2250 में से 1250 अंक ही मिले। इन्हीं दो में कमजोर रहने से ग्वालियर की रैंकिंग गिरी।
“नगर निगम में ढाई-तीन साल से महापौर,पार्षद-सभापति नहीं होने से अधिकारी निरकुंश हो गए थे और मनमानी कर रहे थे। अब हम सभी मिलकर स्वच्छता सर्वेक्षण 2023 में बेहतर प्रदर्शन करेंगे। मैं जल्द ही सर्वेक्षण को लेकर बैठ लूंगी। शहर में अब साफ सफाई पर विशेष कार्य किया जाएगा।”
डॉ शोभा सिकरवार महापौर
“हम हार नहीं मानेंगे, हम स्वच्छता सर्वेक्षण फीडबैक में लगातार बेहतर रहे। कहां पर चूक हुई है इसकी समीक्षा करेंगे। 2023 में जो पैरामीटर तय किए गए है अब उनके हिसाब से ही प्लांनिग करके कार्य किया जाएगा, सफाई को लेकर सभी की जिम्मेदारी तय की जाएगी।”
किशोर कान्याल, आयुक्त नगर निगम
“स्वास्थ्य क्षेत्र में लंबा चौड़ा अमला व करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी तीन पायदान रैंगिंग गिरना चिंताजनक है। हम इसकी समीक्षा करेंगे और 2023 में पहले पायदान के लिए विशेष प्लान बनाया जाएगा।”
मनोज तोमर सभापति नगर निगम

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