उल्लेखनीय है कि विधानसभा चुनाव से पहले अक्टूबर-नवंबर 2018 में कांग्रेस नेताओं ने प्रो आनंद मिश्र पर सरकारी बंगले से भाजपा का प्रचार करने का आरोप लगाकर चुनाव आयोग में शिकायत की थी। इसके बाद आयोग ने प्रो मिश्र को कुलसचिव पद से हटाने का आदेश देकर इंदौर अटैच कर दिया था। कांग्रेस की सरकार बनने के बाद तत्कालीन उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी के निर्देश पर प्रो मिश्र को फिर से अशोक नगर जिले के चंदेरी कॉलेज में स्थानांतरित कर दिया गया। यहां कुछ दिन तक उनकी पदस्थी रहने के बाद फिर से दमोह जिले के तेंदूखेड़ा स्थानांतरण किया गया था। इसके बाद से प्रो मिश्र ने अवकाश ले लिया था,इसके बाद से वे लगातार अवकाश पर थे।
इस दौरान तत्कालीन प्रदेश सरकार ने प्रभारी कुलसचिव डॉ आईके मंसूरी को हटाकर कुलसचिव के पद पर जेयू में राजनीति अध्ययनशाला के विभागाध्यक्ष प्रो एपीएस चौहान की प्रतिनियुक्ति कर कुलसचिव बनाया था। पिछले कुछ महीनों में बदले राजनीतिक घटनाक्रम के बीच भाजपा की सरकार बनने के बाद से जेयू में लगातार प्रो आनंद मिश्र के दोबारा से कुलसचिव बनने की अटकलें लगाई जा रही थीं। शनिवार को प्रदेश सरकार द्वारा एक वर्ष तक कुलसचिव के पद पर नियुक्ति के साथ ही अब जीवाजी विश्वविद्यालय को फिर से दीर्घ कालीन कुलसचिव मिल गया है।
भाई की वजह से बने रहे राजनीतिक शिकार
कुलसचिव प्रो आनंद मिश्र के भाई डॉ नरोत्तम मिश्र भाजपा सरकार में पॉवरफुल मंत्री के रूप में पहचान बनाए रहे हैं। इनकी चुनावी रणनीति में परिवार के सदस्य होने के नाते अपरोक्ष रूप से प्रो मिश्र का भी सहयोग होने की संभावना व्यक्त की जाती रही है। चुनाव के समय कांग्रेस ने डॉ मिश्र को निशाना बनाकर कुलसचिव रहे प्रो मिश्र को शिकार बनाया। इस राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता की वजह से दो महीने में प्रो आंनद मिश्र को तीन बार स्थानांतरण का शिकार होना पड़ा था। इसके साथ ही प्रो मिश्र के करीबी रहे लोगों को भी मानसिक प्रताडऩा लगातार मिलती रही।
शनिवार को आई कोरोना से संबंधित रिपोर्ट