दरअसल, कोरोना संक्रमण को लेकर लगाए गए जनता कफ्र्यू के दो दिन पहले ही डीसीएम की ड्यूटी कमांड सेंटर पर लगाई गई थी। इसके बाद से इनको शहर में शुरू किए गए सभी इंस्टीटयूशन क्वरंटाइन सेंटर की जानकारी रखने का काम दिया गया था। इसके साथ ही रैपिड रिस्पांस टीम की जिम्मेदारी इनको दी गई थी। इसके बाद से हर दिन सुबह आठ बजे कमांड सेंटर पर आना और रात में काम पूरा करके घर जाना ही दिनचर्या बन गया है। काम के बीच में ही समय निकालकर अपनी इबादत को भी समय दे रहे हैं।
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बिना पानी पिए निकाल रहे पूरा दिन
रमजान का महीना शुरू होने के बाद हर वर्ष की तरह इस बार भी रोजा रखना शुरू किए थे। घर पर सभी ने संक्रमण काल में इबादत और काम के बीच सामंजस्य की मुश्किलें बताकर समझाने की कोशिश की। लेकिन आस्था और काम दोनों को बराबर तवज्जो देने की बात कहकर परिवार को समझा लिया। अब चौदह दिन निकल गए। हर दिन सहरी से लेकर अफ्तारी तक बिना कुछ खाए पिए दिन निकल रहा है। इसके बाद भी काम में कहीं ढील नहीं दे रहे। अधिकारियों के निर्देश और क्वारंटाइन होम तक जा रहे डॉक्टर्स का सपोर्ट करने में लगातार लगे हुए हैं।
धर्म अपनी जगह है, काम का अपना अलग महत्व है। हमारा काम दूसरों की सेवा करना ही है,हमारी कोशिश बस यही है कि अच्छे से काम करते रहें।
एमएस खान, डीसीएम
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