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चंदन दास की गजल से सजेगी तानसेन समारोह की पूर्व संध्या, दुर्लभ वाद्य यंत्रों से गूंजेगा ग्वालियर

Tansen Samaroh 2024: तानसेन संगीत समारोह-2024 की पूर्व संध्या ‘गमक’ की संगीत सभा में आज चंदन दास की प्रस्तुति, इंटक मैदान पर होगा आयोजन…

ग्वालियरDec 14, 2024 / 08:53 am

Sanjana Kumar

Tansen Samaroh 2024
Tansen Samaroh 2024: तानसेन समारोह की पूर्व संध्या पर 14 दिसंबर को शाम 6.30 बजे इंटक मैदान हजीरा पर पूर्वरंग “गमक” की संगीत सभा सजेगी। “गमक” में विश्व विख्यात गजल गायक चंदन दास प्रस्तुति देंगे। चंदन दास ने “न जीभर के देखा न कुछ बात की, बड़ी आरजू थी मुलाकात की” जैसी तमाम गजलें गाकर देश और दुनिया में लोकप्रियता हासिल की है।
उनके हिट एलबम में कितने ही रंग, गज़ल उसने छेड़ी, इनायत व गुजारिश शामिल हैं। शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में सुर सम्राट तानसेन की याद में 100वां तानसेन संगीत समारोह 15 से 19 दिसंबर तक संगीत की नगरी ग्वालियर में आयोजित होने जा रहा है।

दुर्लभ वाद्य यंत्रों से गुंजायमान होगा ग्वालियर, 10 स्थानों पर प्रस्तुतियां आज


तानसेन समारोह के एक दिन पहले संगीत की नगरी ग्वालियर में दुर्लभ वाद्य यंत्रों की स्वर लहरियां गूूंजेंगी। तानसेन संगीत समारोह के शताब्दी आयोजन को ध्यान में रखकर इस बार नए आयाम जोड़े गए हैं। 14 दिसंबर को पूर्वरंग के रूप में शहर के 10 प्रमुख स्थलों पर दुर्लभ वाद्य यंत्रों की प्रस्तुतियां होंगी। इनमें टाउन हॉल महाराज बाड़ा, बैजाताल, हस्सू-हद्दू खां सभागृह, जयविलास पैलेस, राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय, शासकीय माधव संगीत महाविद्यालय, शंकर गंधर्व महाविद्यालय, दत्त मंदिर, ग्वालियर किला व तानसेन कलावीथिका शामिल हैं।

पूर्व रंग के तहत 14 दिसंबर को शाम 4.30 बजे महाराज बाड़ा स्थित टाउन हॉल में सतीश खानवलकर – अम्बरीष कालेले का मोहनवीणा वादन होगा। बैजाताल पर भूषण कोष्ठी द्वारा सुरबहार वादन व दत्त मंदिर में भिमण्णा जाधव की प्रस्तुति होगी। हस्सू-हद्दू खां सभागृह में शारदा मुष्टी का रूद्रवीणा वादन, जयविलास पैलेस में श्रुति अधिकारी का संतूर वादन, राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय में सौरभ चौरसिया का नालतरंग वादन, शासकीय माधव संगीत महाविद्यालय में अर्पिता शर्मा का रूद्रवीणा वादन, शंकर गंधर्व महाविद्यालय में हिमांशु सैनी का सरोद वादन, ग्वालियर किला पर उस्ताद अब्दुल सलाम नौशाद का क्लेरोनेट वादन एवं तानसेन कलावीथिका में पं. अवधेश द्विवेदी एवं अनमोल द्विवेदी पखावज पर प्रस्तुति देंगे।

देश-विदेश के विख्यात कलाकार देंगे सुर सम्राट तानसेन को स्वरांजलि

तानसेन संगीत समारोह-2024: 15 से 19 दिसंबर तक होगा आयोजन

ग्वालियर के साथ बटेश्वर व बेहट में भी होंगी मुख्य सांगीतिक सभाएं, तबला वादक पं. स्वपन चौधरी “तानसेन सम्मान-2023” से होंगे विभूषित, सानंद न्यास इंदौर को मिलेगा वर्ष 2023 का राजा मानसिंह तोमर सम्मान
शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में देश और दुनिया में एक अलग पहचान रखने वाला तानसेन संगीत समारोह इस वर्ष अपने 100 वर्ष पूरे कर रहा है। शताब्दी वर्ष में देश-विदेश के विख्यात कलाकार सुर सम्राट तानसेन को स्वरांजलि देने आ रहे हैं। शताब्दी वर्ष के तानसेन समारोह का पारंपरिक शुभारंभ 15 दिसंबर को सुबह 10 बजे हजीरा स्थित तानसेन की समाधि पर शहनाई वादन, ढोलीबुआ महाराज की हरिकथा एवं मीलाद वाचन से होगा। पहली सभा 15 दिसंबर को शाम तानसेन समाधि परिसर में बनाए गए मंच पर सजेगी। इसके बाद हर दिन यहां प्रात:एवं सायंकालीन सभाएं होंगी।

18 दिसंबर को सुबह 10 बजे से दो संगीत सभाएं सजेंगी। यह सभाएं तानसेन समाधि स्थल के मुख्य मंच व बटेश्वर मंदिर परिसर में सजेंगी। 19 दिसंबर को प्रात:कालीन सभा तानसेन की जन्म स्थली बेहट में और इस साल के समारोह की अंतिम संगीत सभा सायंकाल गूजरी महल परिसर में सजेगी।

अलंकरण समारोह 18 को

अलंकरण समारोह का आयोजन 18 दिसम्बर को शाम 6 बजे तानसेन समाधि परिसर में मुख्य समारोह के मंच पर होगा। ख्यातिनाम तबला वादक पं. स्वपन चौधरी कोलकाता को वर्ष 2023 के तानसेन सम्मान से विभूषित किया जाएगा। साथ ही वर्ष 2023 के राजा मानसिंह तोमर सम्मान से सानंद न्यास इंदौर को अलंकृत किया जाएगा।

प्रात:कालीन सभा 19 को बेहट में


सभा की शुरूआत सुबह 10 बजे ध्रुपद केन्द्र बेहट के ध्रुपद गायन से होगी। स्थानीय कलाकार का गायन-वादन होगा। अदिति शर्मा दिल्ली का ध्रुपद गायन और स्थानीय कलाकार के गायन-वादन के साथ सभा का समापन होगा।

सायंकालीन एवं अंतिम सभा 19 को गूजरी महल में


पारंपरिक रूप से शाम 6 बजे शारदा नाद मंदिर ग्वालियर के ध्रुपद गायन से होगी। इसके बाद सुकन्या रामगोपाल एवं साथी बैंगलुरू का घटम् वृंद वादन होगा। सभा का समापन चोइली व मोईशली दत्ता कोलकाता की सरोद जुगलबंदी के साथ होगा।

कल वृहद शास्त्रीय बैंड से गूंजेगा ऐतिहासिक दुर्ग

ग्वालियर का ऐतिहासिक दुर्ग 15 दिसंबर की शाम को वाद्य यंत्रों की समवेत स्वर लहरियों से गूंजेगा। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की मौजूदगी में होने जा रहे समवेत प्रस्तुति में नादब्रम्ह के लगभग 350 साधक एकसाथ विभिन्न वाद्य यंत्रों का वादन करेंगे। यह समवेत प्रस्तुति ग्वालियर दुर्ग स्थित कर्ण महल के समीप होगी।
संगीत के क्षेत्र में भारत को वैश्विक पहचान और ऊंचाईयां दिलाने के लिए इस प्रस्तुति को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज कराने के प्रयास भी होंगे। वृहद शास्त्रीय बैंड की इस प्रस्तुति में बांसुरी, सितार, सरोद, संतूर, शहनाई, बायलिन, सारंगी व हार्मोनियम इत्यादि वाद्य यंत्रों से मधुर धुनों की बारिश होगी, तो तबला व पखावज की थाप के साम्य से शहर की फिजा में सुर संगीत के नए रंग भरेंगे।

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