● जवाब : मस्तिष्क की रक्त वाहिकाओं में रक्त प्रवाह में रुकावट से स्ट्रोक का जन्म होता है। इसके दो मुख्य कारण होते हैं। पहला जिसमें रक्त का थक्का रक्त वाहिका को बंद कर सकता है। दूसरा हेमरेज, जिसमें रक्त वाहिका फट जाती हैं। दिमाग के जिस भाग में रक्त प्रवाह प्रभावित होता है वहां की कोशिकाएं मरने लगती हैं।
● जवाब: एक तरफ के चेहरे और हाथ-पैर का सुन्न होना, उनमें कमजोरी चेहरे के भाव पर और अंगों पर नियंत्रण नहीं रहना, बोली अस्पष्ट होना, बोल न पाना, दूसरों को समझ न पाना, एक या दोनों आंखों से देखने में दिक्कत आना, शरीर का संतुलन बिगड़ना, चल-फिर न पाना, बिना किसी स्पष्ट कारण के तीव्र सिर-दर्द होना। अक्सर लोग इन लक्षणों को समय से नहीं पहचान पाते और डॉक्टर के पास जाने में देरी हो जाती है।
● जवाब : स्ट्रोक के शुरुआती घंटे गोल्डन आवर में इलाज मिलने से मरीज के रिकवर होने के चांस ज्यादा होते हैं। इलाज में जितनी देर, व्यक्ति की स्थिति उतनी ही बिगड़ती जाएगी। सही समय पर लक्षणों को पहचान कर अनुभवी डॉक्टर से सलाह एवं इलाज लेने पर मरीज को स्ट्रोक के बाद आने वाली परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता है।
● जवाब : स्ट्रोक होने के बाद व्यक्ति को दोबारा स्ट्रोक होने की संभावना बहुत बढ़ जाती है । स्ट्रोक की संभावना कम करने के लिए जरूरी है कि मरीज उपयुक्त दवा लें और उचित जीवन-शैली के बदलाव अपनाएं। उच्च रक्त-चाप (हाइपरटेंशन, हाई बीपी) और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित रखें। डायबिटीज से बचें, या उस पर नियंत्रण रखें। वजन नियंत्रित रखना, शारीरिक रूप से सक्रिय रहना, तम्बाकू सेवन और धूम्रपान बंद करना, तनाव कम करना, और मद्यपान कम करना बेहद जरूरी है। डॉक्टर से समय समय पर सलाह लेकर स्ट्रोक के खतरे को कम किया जा सकता है।