जीवाजी विश्विविद्यालय (Jiwaji University) की डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम सेंट्रल इंस्ट्रूमेंटेशन फेसिलिटी लैब में लाहौरी और ईरानी नमक की जांच की गई तो पता चला कि लाहौरी नमक खाने योग्य है, पर ईरानी नमक नहीं। ईरानी नमक अघुलनशील निकला। इसमें गंदगी (Turbidity) अधिक मिली, जो सेहत के लिए खतरनाक है। इससे लीवर और किडनी पर बुरा असर पड़ता है।
जीवाजी विश्विविद्यालय (Jiwaji University) के डिपार्टमेंट ऑफ केमिस्ट्री के विभागाध्यक्ष प्रो. डीडी अग्रवाल बताते हैं कि दो तरह के नमक की जांच की गई है। लाहौरी नमक खाने योग्य है, जबकि ईरानी नमक में अन्सोलिबिल इम्प्योरिटीज मटेरियल यानी अघुलनशीलता अधिक पाई गई। इसमें गंदगी की मात्रा भी अधिक मिली है। ये सेहत के लिए हानिकारक है।
मालूम हो कि सेंधा नमक का उपयोग उपवास में बनने वाले खाद्य पदार्थों में किया जाता है। अलग स्वाद के चलते उपयोग बढऩे लगा है। अधिक मुनाफे के फेर में लाहौरी नमक की बजाय ईरानी नमक की बिक्री शहर ही नहीं प्रदेश में काफी बढ़ी है। अनजाने में लोग इ नमक को खाकर अपनी सेहत को संकट में डाल रहे हैं।
ऐसे करें पहचान
लाहौरी सेंधा नमक का रंग गुलाबी होता है। ईरानी सेंधा नमक हल्के काले रंग का होता है। पीसने पर भी यही रंग इसी तरह रहता है। लाहौरी सेंधा नमक पिसने के बाद गुलाबीपन लिए होता है।
इम्पोर्ट ड्यूटी बचाने लाए ईरानी नमक
पुलवामा हमले के बाद केंद्र सरकार ने पाकिस्तानी वस्तुओं पर इम्पोर्ट शुल्क 220 फीसदी तक बढ़ा दिया था। इसका असर लाहौरी सेंधा नमक पर पड़ा। पहले ये अमृतसर के रास्ते आता था। अब इसे दुबई के रास्ते मुंदड़ा पोर्ट से मंगाया जा रहा है। इससे कीमत कई गुना बढ़ गई। इसी मार्ग से ईरानी सेंधा नमक भी मंगवाया जा रहा है। पूर्व में जो सेंधा नमक २० रुपए किलो बिकता था, अब उसका दाम 50 से 70 रुपए तक पहुंच गया है। ऐसे में 20 रुपए प्रति किलो कीमत वाला ईरानी नमक 50 रुपए में बेचा जा रहा है।