मायके से वापस नहीं आई
गीता (परिवर्तित नाम) का विवाह 2011 में मंगेश (परिवर्तित नाम) के साथ हुआ था। विवाह के बाद पत्नी अधिकतर मायके में ही रही, ससुराल में उसने कुछ दिन ही बिताए। 2017 में पत्नी ने पूरी तरह ससुराल छोड़ दिया और मायके से वापस नहीं आई। पति ने पत्नी को साथ रखने के लिए हिंदू विवाह अधिनियम की धारा-9 के तहत संबंधों की पुनर्स्थापना का केस लगाया। पत्नी साथ रहने के लिए तैयार हो गई, लेकिन एक साल तक वह सुसराल में रहने के लिए नहीं गई। उसने पति के सामने शर्त रख दी कि सास-ससुर के साथ नहीं रहूंगी, उसके लिए अलग से घर लेना होगा। पति ने पत्नी को मनाने के हर संभव प्रयास किए, लेकिन वह अपनी शर्तों पर अड़ी रही।
झूठे आरोपों को तलाक का आधार बनाया
मंगेश ने कुटुंब न्यायालय में तलाक का आवेदन दिया, जिसमें क्रूरता, साथ न रहना और झूठे आरोपों को तलाक का आधार बनाया। पति इसे साबित करने में कामयाब रहा। कुटुंब न्यायालय भिंड ने 26 जुलाई 2023 को तलाक की डिक्री पारित की। इस डिक्री को पत्नी ने हाईकोर्ट में चुनौती दी। कोर्ट ने डिक्री को खारिज कर दिया।