चार को किया गया रिहा
सुप्रीम कोर्ट ने घोषित विदेशियों को सशर्त छोड़ने की बात कही थी। इसके बाद राज्य सरकार ने इन्हें छोड़ने के लिए पांच शर्तें लगाईं। पांच शर्तों को पूरा करने के बाद पश्चिम असम के ग्वालपाड़ा डिटेंशन कैंप से चार विदेशी घोषित व्यक्तियों को अब तक रिहा किया गया है।
सुप्रीम कोर्ट से मिली इजाजत
सुप्रीम कोर्ट में पिछले महीने डिटेंशन कैंपों में रह रहे लोगों के दुख-दर्द को लेकर दायर एक याचिका पर सुनवाई हुई थी। डिटेंशन कैंपों में रह रहे विदेशी घोषित लोगों को छोड़ने के राज्य सरकार के दिए गए प्रस्तावों पर सुप्रीम कोर्ट ने मुहर लगाई थी। शर्तों को पूरा करने वाले विदेशियों को छोड़े जाने की बात की एक वरिष्ठ अधिकारी ने पुष्टि करते हुए कहा कि डिटेंशन कैंपों में रह रहे 335 लोगों ने तीन साल से अधिक का समय गुजार लिया है और सशर्त रिहाई के लिए योग्य हो गए हैं।
इतने लोगों को घोषित किया गया विदेशी
अधिकारी ने सुरक्षा कारणों के चलते उनका नाम और पता बताने से इनकार कर दिया है। उन्होंने कहा कि राज्य के गृह व राजनीतिक विभाग के दिशा-निर्देशानुसार हमने डिटेंशन कैंपों में रह रहे 335 लोगों की विस्तृत बॉयोमैट्रिक जानकारी संग्रह कर ली है। राज्य के कुल छह डिटेंशन कैंपों में 1,145 घोषित विदेशी रह रहे हैं। इन्हें ग्वालपाड़ा, कोकराझाड़, तेजपुर, डिब्रुगढ़, जोरहाट और सिलचर की जिला जेलों में बने डिटेंशन कैंप में रखा गया है। इन्हें विदेशी न्यायधिकरणों ने विदेशी घोषित किया है। असम समझौते के तहत 24 मार्च 1971 के बाद आए और अपनी भारतीय नागरिकता साबित न कर पाने वाले सभी अवैध घुसपैठिए हैं।
यह हैं राज्य सरकार की शर्तें
:— राज्य सरकार ने 31 जुलाई को एक रुपरेखा प्रकाशित की जिसके अनुसार तीन साल डिटेंशन कैंप में पूरा करने वाले घोषित विदेशी को एक बांड एक-एक लाख रुपए के दो भारतीय जमानतदारों के साथ जमा कराना होगा।
:— डिटेंशन कैंप से रिहा होने के बाद रहने वाले पुष्टि किए हुए पते को बताना पड़ेगा।
:— इसके अलावा अपने निकटवर्ती थाने में हर हफ्ते हाजिरी लगानी होगी।
:—अपने पते में होने वाले किसी भी बदलाव को तुरंत थाने को बताना होगा।
:— उपरोक्त में से किसी भी शर्त का उल्लंघन होता है तो फिर डिटेंशन कैंप में जाना होगा।
…सूत्रों के अनुसार अन्य विदेशी घोषित तथा तीन साल पूरा करने वाले विदेशियों को छोड़ने की प्रक्रिया चल रही है।