हेलमेट में छिपा है राज
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टारगेट पर अचूक निशाना लगाने के लिए इस हेलीकॉप्टर में एक खास तरह का हेलमेट डिजाइन किया गया है। इस हेलमेट में डिसप्ले सिस्टम लगा होता है। हेलमेट से पायलट या गनर ऑटोमेटिक M230 चेन गन लगा सकता है। जिसके बाद वो अपने सिर को हिलाकर फायरिंग कर सकता है। साथ ही इसमें दो T700 टर्बोशाफ्ट इंजन होते हैं। दो इंजन होने के कारण इसमें बैठे दोनों पायलट हेलीकॉप्टर को उड़ा सकते हैं या फिर एक इंजन के खराब होने की स्थिति में दूसरे इंजन से इसे उड़ाया जा सकता है। इस हेलीकॉप्टर में बैठने वाले पायलट की सुरक्षा का पूरा इंतजाम किया गया है। इसके कॉकपिट में ऐसी शील्डिंग की गई है जिसकी वजह से इसे भेदना मुश्किल हो जाता है। इसका डिजाइन भी बेहद खास होता है। इसके लैंडिंग गियर, सीट और फ्यूल सिस्टम, बॉडी को ऐसा डिजाइन दिया गया है जिससे इसे क्रैश होने से बचाया जा सके।
भारत के लिए इसलिए है अहम
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भारतीय वायुसेना के नजरिए से देखें तो टेक्टिकल लड़ाई के समय में यह काफी फायदेमंद साबित हो सकता है। भारत अपाचे का इस्तेमाल करने वाला 14वां देश होगा। इससे वायुसेना की ताकत में काफी इजाफा होगा। इसी साल फरवरी में अमरीका से खरीदे गए चिनूक हेलिकॉप्टर की पहली खेप वायुसेना के बेड़े में शामिल हो चुकी है। 4 चिनूक हेलिकॉप्टर गुजरात में कच्छ के मुंद्रा एयरपोर्ट पहुंचे थे। भारत के पड़ोसी चीन और पाकिस्तान की तरफ से जिस तरह से चिंताएं उभर रही हैं, ऐसे में अपाचे हेलीकॉप्टर्स भारतीय वायुसेना के लिए काफी अहम माने जा रहे हैं।
अपाचे हेलीकॉप्टर की ताकत

यह हेलीकॉप्टर दुनिया के सबसे विध्वंसक हेलीकॉप्टर माने जाते हैं। जनवरी, 1984 में बोइंग कंपनी ने अमरीकी फौज को पहला अपाचे हेलीकॉप्टर दिया था. तब इस मॉडल का नाम था एएच-64ए। तब से लेकर अब तक बोइंग 2,200 से ज़्यादा अपाचे हेलीकॉप्टर बेच चुकी है। इसका निशाना बहुत सटीक है। जिसका सबसे बड़ा फायदा युद्ध क्षेत्र में होता है, जहां दुश्मन पर निशाना लगाते वक्त आम लोगों को नुकसान नहीं पहुंचता है। इसमें सबसे ख़तरनाक हथियार 16 एंटी टैंक मिसाइल छोडऩे की क्षमता है। इसे कई बार अपडेट किया जा चुका है। भारत से पहले इस कंपनी ने अमरीकी फौज के जरिए मिस्र, ग्रीस, इंडोनेशिया, इजराइल, जापान, क़ुवैत, नीदरलैंड्स, कतर, सऊदी अरब और सिंगापुर को अपाचे हेलीकॉप्टर बेचे हैं। 27 जुलाई 2019 को अमेरिकी विमान निर्माता कंपनी बोइंग की एएच-64इ अपाचे गार्जियन अटैक हेलिकॉप्टर की पहली खेप भारतीय वायु सेना के हिंडन एयरबेस पहुंच गई थी। इससे पहले 10 मई 2019 को बोइंग ने भारतीय वायुसेना को 22 अपाचे गार्जियन लड़ाकू हेलीकॉप्टरों में से पहला हेलीकॉप्टर सौंपा था।
आइए डालें खासियत पर नजर
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करीब 16 फीट ऊंचे और 18 फीट चौड़े अपाचे हेलीकॉप्टर को उड़ाने के लिए दो पायलट होना ज़रूरी है। अपाचे हेलीकॉप्टर के बड़े विंग को चलाने के लिए दो इंजन होते हैं। इस वजह से इसकी रफ़्तार बहुत ज़्यादा है। इसकी अधिकतम रफ़्तार 280 किलोमीटर प्रति घंटा है। अपाचे हेलीकॉप्टर का डिजाइन ऐसा है कि इसे रडार पर पकडऩा मुश्किल होता है। बोइंग के अनुसार, बोइंग और अमरीकी फौज के बीच स्पष्ट अनुबंध है कि कंपनी इसके रखरखाव के लिए हमेशा सेवाएं तो देगी पर ये मुफ्त नहीं होंगी। हेलीकॉप्टर के नीचे लगी राइफल में एक बार में 30mm की 1,200 गोलियां भरी जा सकती हैं। इसकी फ्लाइंग रेंज करीब 550 किलोमीटर है। ये एक बार में पौने तीन घंटे तक उड़ सकता है। अपाचे हेलीकॉप्टर की डिजिटल कनेक्टिविटी व संयुक्त सामरिक सूचना वितरण प्रणाली में सुधार किया गया है। अधिक शक्ति को समायोजित करने के लिए इंजनों को उन्नत किया गया है। यह मानव रहित हवाई वाहनों (यूएवी) को नियंत्रित करने की क्षमता से लैस है। बेहतर लैंडिंग गियर, बढ़ी हुई क्रूज गति, चढ़ाई दर और पेलोड क्षमता में वृद्धि इसकी कुछ अन्य विशेषताएं हैं। इस हेलीकॉप्टर में युद्ध के मैदान की तस्वीर को प्रसारित करने और प्राप्त करने की क्षमता है।