राघौगढ़ में पुराने मुद्दे जिंदा हैं, लेकिन सियासत इससे जुदा होकर चलती है। सुंदरखेड़ी के लाखन रागेड़ कहते हैं कि हम तो बाबा साहब को जानते हैं, बस वो ही हैं। पीपलिया के बंसीलाल कैथवास कहते राजा साहब (दिग्विजय) और बाबा साहब (जयवर्धन) को मानते हैं। कोई कितना ही जोर लगा ले, कुछ नहीं होना। देवीसिंह जैसराज ने कहा, इस बार सब बदल जाएगा। जो लोग सनातन के नहीं हैं वो किसके होंगे। यहां से थोड़ा आगे गए तो मुहासा के मनसुख मोरी मिल गए। बोले- रोजगार की समस्या अब भी है। खेती-किसानी पहले जैसी नहीं रही। गुर्जरखेड़ी के झुमकू गौतवाल से पूछा कि किसे जिताओगे, तो कहा- जिसे वोट देना है दे दईंगे, तुमको कई। जो हमरा ध्यान रखै, बाहे जितावेंगे।
इस बार ये थोड़ा जुदा
इस बार सनातन का मुद्दा अलग अंदाज में दिखता है। दिग्विजय और जयवर्धन धर्मप्रेमी होने का दावा करते रहे हैं। प्रचार-सभा में भी असर पहले के मुकाबले ज्यादा दिखता है। जयवर्धन जहां जाते हैं, वहां जय श्रीराम के नारे भी लगा देते हैं और सनातन मुद्दे को भी उठाते हैं। हीरेंद्र तो पीएम मोदी, राम मंदिर और सनातन व विकास को आगे रखकर एक मौका मांगते हुए प्रचार में जुटे हैं। हीरेंद्र के टिकट के पीछे केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का हाथ माना जाता है।
मुख्य प्रतिद्वंद्वी
हीरेंद्र सिंह बंटी, भाजपा
जयवर्धन, कांग्रेस
प्रमुख मुद्दे
भाजपा की ओर से: सनातन व राम मंदिर और मोदी के नाम पर प्रचार। विकास भाजपा का। 2003 के बाद सडक़ें, आगे और विकास करेंगे। मोदी-शिवराज की डबल इंजन सरकार से फायदा।
कांग्रेस की ओर से: भाजपा का भ्रष्टाचार, घोटाले, महंगाई इत्यादि। एंटी-इंकम्बैंसी, मोदी-शिवराज गुमराह कर रहे। देश-प्रदेश को बचाने के लिए वोटिंग हो, सरकार गिराई है, वापस लाओ।