गुना शहर को मिनी स्मार्ट सिटी बनाने की घोषणा और उसका राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द से शुभारंभ कराने से गुना वासी प्रसन्नचित हैं। इसके लिए डीपीआर बन चुकी है, जिसके हिसाब से अलग-अलग मद में 282 करोड़ रुपए खर्च भी होना है। यह काम संभवत: तीन माह बाद शुरू हो जाएगा। मगर जनता वर्तमान नपा की व्यवस्थाओं से बेहद नाराज है।
इसकी वजह ये है कि करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद न तो शहर की पेयजल व्यवस्था सुधर पाई और न ही शहर स्वच्छ हो पाया। पत्रिका टीम ने स्मार्ट सिटी की घोषणा के बाद शहर के नालों को चिन्हित कर उनकी वस्तु स्थिति जानी और वहां के लोगों से उन नालों को लेकर चर्चा की तो उनमें नाले की सफाई न होने से नाराजगी दिखी और उन्होंने नाले की सफाई के नाम पर अनियमितता का आरोप लगाया। उनका कहना था कि व्यवस्थाएं नपा सुधारे नालों की स्थिति सुधरवाएं उससे ही गुना मिनी स्मार्ट शहर बन सकता है।
फैल सकती है बीमारी
शहर में बने नालों की स्थिति देखी जाए तो कचरे से पटे होने और उसमें पनप रहे मच्छरों से बीमारी पनप सकती है। इसकी वजह ये है कि निचला बाजार रपटे के इस नाले के आसपास खान-पान के ठेले भी खड़े होते हैं, जहां मच्छर पनपते रहते हैं।
निचला बाजार रपटा
शहर के बीचों-बीच निचला बाजार रपटे पर नाला स्थित है। इस नाले को देखा जाए तो यह नाला पूरी तरह चौक हो गया है, इसमें कीचड़ और पॉलीथिन के अलावा कुछ भी नजर नहीं आता है। इसके साथ-साथ बदबू भी काफी आती है। दुकानदारों से नाले के बारे में पूछा गया तो उनका कहना था कि नाले की सफाई लंबे समय से नहीं हुई, जिससे यह नाला पट गया है।
नाले की देखभाल न होने से कुछ समय पूर्व एक मकान की दीवार भी नाले के पानी भर जाने से ढह गई थी। इस नाले की बदबू भी काफी आ रही है। उनका कहना था कि इस नाले की सफाई को लेकर हम लोग नगर पालिका अध्यक्ष से भी आग्रह कर चुके हैं। लेकिन इसकी सफाई अभी तक नहीं हो पाई है। नाले के चौक होने से और जल्द सफाई नहीं हुई तो बारिश में गंदा पानी लोगों के घरों में घुस सकता है।
घोसीपुरा नाला
घोसीपुरा में बने नाले की स्थिति ये है कि इस नाले के आसपास गंदगी का काफी जमाव है। नाले में कचरा ही कचरा दिखाई दिया। नाले के आसपास सुरक्षा के भी कोई इंतजाम नहीं हैं। इस नाले की सफाई कुछ समय पूर्व कराने की बात वहां के कुछ लोगों ने बताई, साथ में यह कहा कि नाले की सफाई के नाम पर केवल रस्म अदायगी हुई। इसकी शिकायत भी की थी, उसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई।
पुलिया को लेकर उठ चुका है विवाद:
सूत्र बताते हैं कि पूर्व में घोसीपुरा में बनने वाली पुलिया को लेकर वार्ड के पार्षद प्रमोद यादव ने मामला उठाया था, उसने कई जगह शिकायत भी की थी। जिसको लेकर कई आरोप-प्रत्यारोपों का दौर भी कई दिनों तक चला था। पुलिया के निर्माण सामग्री के गुणवत्ता की जांच करने एक उच्च स्तरीय टीम ग्वालियर और भोपाल से आई थी, जिसने अपनी रिपोर्ट भी आला अफसरों को सौंपी थी।
दूसरे नालों की भी ये है स्थिति: शहर में बांसखेड़ी, शिवाजी नगर, शीतला माता मंदिर जैसे कई जगह भी नाले हैं, वे भी कचरे से पट गए हैं, जिससे पानी की निकासी तक नहीं हो रही है।