Heat Stroke in MP: भीषण गर्मी से बढ़ता है बॉडी टेम्प्रेचर, पकने लगता है ब्लड में मौजूद प्रोटीन, एक्सपर्ट से जानें Heat Stroke से कैसे बचें
How to maintain body temperature in heat: इस बार सारे रेकॉर्ड ब्रेक करते हुए मध्य प्रदेश में लोगों का जीना मुहाल कर दिया है। वहीं एक्सपर्ट का कहना है कि हाई टेम्प्रेचर में Heat Stroke का खतरा बढ़ जाता है, जरा सी भी लापहवाही भारी पड़ सकती है
Heat Stroke Prevention Tips: पिछले 15 दिन से तापमान बहुत ज्यादा है। जिससे हीट स्ट्रोक का खतरा बहुत ज्यादा बढ़ गया है। पूरे एमपी में Heat Stroke के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। कहीं लोगों का ट्रीटमेंट चल रहा है, तो कहीं मासूम बच्चों से लेकर कई लोग heat stroke के कारण जान गंवा चुके हैं। ऐसे में एक्सपर्ट का कहना है कि इस मौसम में जरा सी भी लापरवाही भारी पड़ सकती है।
हीट स्ट्रोक (Heat Stroke) दो तरह का होता है। एक नमी वाला और दूसरा ड्राइ। इसमें नमी वाले हीट स्ट्रोक को सहन कर पाना ज्यादा मुश्किल होता है। इसका असर शरीर के कई अंगों पर पड़ता है। फेफड़ों में गर्म हवा जाने से सांस लेने में दिक्कत होती है। किडनी पर असर पड़ने से उसके द्वारा छनने की क्रिया प्रभावित होती है।
37 डिग्री सेल्सियस होता है हमारे शरीर का नॉर्मल टेम्प्रेचर
हमारे शरीर का तापमान (Body Temperature) हमेशा 37 डिग्री सेल्सियस होता है। इस तापमान पर ही हमारे शरीर के सभी अंग सही तरीके से काम कर पाते हैं। पसीने के रूप में पानी बाहर निकालकर शरीर 37 डिग्री सेल्सियस टेम्प्रेचर मेंटेन रखता है। लगातार पसीना निकलते वक्त भी पानी पीते रहना अत्यंत जरूरी और आवश्यक है।
पानी की कमी बढ़ाने लगती है बॉडी टेम्प्रेचर
पानी शरीर में इसके अलावा भी बहुत कार्य करता है, जिससे शरीर में पानी की कमी होने पर शरीर पसीने के रूप में पानी बाहर निकालना बंद कर देता है। जब बाहर का टेम्प्रेचर 45 डिग्री के पार हो जाता है और शरीर की कूलिंग व्यवस्था ठप हो जाती है, तब शरीर का तापमान 37 डिग्री से ऊपर पहुंचने लगता है।
42 टेम्प्रेचर होते ही पकने लगता है शरीर में मौजूद प्रोटीन
शरीर का तापमान जब 42 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है, तब रक्त गरम होने लगता है और रक्त में उपस्थित प्रोटीन पकने लगता है। स्नायु कड़क होने लगते हैं इस दौरान सांस लेने के लिए जरूरी स्नायु भी काम करना बंद कर देते हैं। शरीर का पानी कम हो जाने से रक्त गाढ़ा होने लगता है, ब्लडप्रेशर कम हो जाता है। ब्रेन तक ब्लड सप्लाई रुक जाती है। व्यक्ति कोमा में चला जाता है और उसके शरीर के एक- एक अंग कुछ ही क्षणों में काम करना बंद कर देते हैं, और उसकी मृत्यु हो जाती है।
बढ़ती गर्मी के कारण स्किन पर चकत्ते बन सकते हैं। बॉडी के अंदर का खून बाहर आने लगता है। त्वचा के पास की नसें फट सकती हैं। ऑक्सीजन या पोषक तत्वों की कमी वाले क्षेत्रों में रक्त प्रवाह बढ़ जाता है।
बचाव के लिए पानी पीना जरूरी
गर्मी के दिनों में बचाव के लिए लगातार थोड़ा-थोड़ा पानी पीते रहना चाहिए। हमारे शरीर का तापमान 37 डिग्री मेन्टेन किस तरह रह पाएगा इस ओर ध्यान देना चाहिए। किसी भी अवस्था मे कम से कम 3 लीटर पानी जरूर पीएं।
किडनी की बीमारी वाले प्रति दिन कम से कम 6 से 8 लीटर पानी जरूर लें।
ब्लड प्रेशर पर नजर रखें।
ठंडे पानी से नहाएं।
मांसाहारी भोजन का प्रयोग छोड़ें या कम से कम करें।
फल और सब्जियों को भोजन मे ज्यादा स्थान दें।
हीट वेव से बचाव के उपाय करें।
शयन कक्ष और अन्य कमरों में 2 आधे पानी से भरे ऊपर से खुले पात्र रखें, ऐसा करने से नमी बनी रहेगी और हीट वेव का असर भी कम होगा।
पीएम रिपोर्ट में ड्राइवर के हार्ट अटैक से होने की पुष्टि हुई है। यह अटैक हीट स्ट्रोक की वजह से भी आ सकते हैं। मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. गौरव तिवारी ने बताया कि कम पानी पीकर धूप में निकलने से इस तरह के खतरे बढ़ जाते हैं।
ये लक्षण दिखें तो तुरंत डॉ. से करें संपर्क
इसलिए दोपहर में धूप में न निकलें, पानी बार-बार पीते रहें। छायादार जगह पर रहें। बच्चों और बुजुर्गों को भी सावधानी रखनी होगी। इस समय तापमान बहुत अधिक है। गर्मी में शरीर को पानी की जरुरत होती है, ऐसे में इसकी कमी से डिहाइड्रेशन का भी खतरा हो सकता है। बेचैनी, घबराहट,चक्कर आना, सांस लेने में दिक्कत हो रही है या अन्य कोई समस्या तो जरा भी देर ना करें, तत्काल डॉक्टर से संपर्क करें।
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