सिंधिया की बड़ी जीत
इस सीट पर चुनाव जीतना सिंधिया के लिए प्रतिष्ठा का विषय बन गई थी। क्योंकि इसी सीट से वे पिछला चुनाव कांग्रेस में रहते हुए हार गए थे। मंगलवार शाम तक सिंधिया 540929 वोटों से आगे निकल चुके थे। जबकि कांग्रेस के यादवेंद्र राव देशराज सिंह पीछे थे। उन्हें 382373 वोट मिले थे। जबकि सिंधिया को कुल 923302 वोट मिले थे। कुल 15 प्रत्याशी मैदान में थे। इस सीट पर 9089 लोगों ने नोटा का भी प्रयोग किया है।Lok sabha Elections 2024: पहले पिता, अब बेटे ने दी सिंधिया को चुनौती, क्या ले पाएंगे बदला?
गुना में क्या है खास बात
गुना लोकसभा सीट इसलिए भी खास है क्योंकि यह ग्वालियर संभाग में आती है और यहां पर बजरंगगढ़ नाम का स्थान है, जहां अति प्राचीन मंदिर है। इसके अलावा चंदेरी के किले भी बहुत प्रसिद्ध है। यहां जागेश्वरी माता मंदिर पर लाखों श्रद्धालु आते हैं। राजस्थान की सीमा से लगे इस क्षेत्र के कल्चर पर राजस्थानी छाप स्पष्ट नजर आती है।सिंधिया राजपरिवार का गढ़
गुना संसदीय सीट शुरू से ही सिंधिया राजघराने की मानी जाती है। लोकसभा चुनाव 2019 में सिंधिया का किला ढह गया था। ज्योतिरादित्य सिंधिया भाजपा के केपी यादव से चुनाव हार गए थे। इसके बाद सिंधिया भाजपा में आ गए। भाजपा ने उन्हें एक बार फिर गुना से मैदान में उतारा है। 1957 में पहली बार सिंधिया परिवार ने यहां से चुनाव जीता था।कौन है राव यादवेंद्र सिंह
राव यादवेंद्र सिंह अशोक नगर से जिला पंचायत सदस्य हैं। उनकी पत्नी जनपद सदस्य, भाई जिला पंचायत सदस्य और मां भी जनपद सदस्य हैं। वे पहले भाजपा में थे। उनके पिता देशराज सिंह भाजपा से विधायक रह चुके हैं। 2023 में विधानसभा चुनाव से पहले यादवेंद्र सिंह कांग्रेस में आ गए थे। हालांकि कुछ समय पहले यादवेंद्र सिंह को छोड़कर उनके परिवार के बाकी लोग भाजपा में शामिल हो गए थे।Rajgarh Lok sabha seat: क्या दिग्विजय को हराकर हैट्रिक लगा पाएंगे भाजपा के रोडमल नागर
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