परिसीमन के बाद कांग्रेस नहीं जीती
राजनीति से जुड़े लोग बताते हैं कि सन् 2008 में परिसीमन के बाद गुना विधानसभा सीट से बमोरी विधानसभा को अलग किया गया था। पूर्व में गुना जिले में तीन विधानसभा सीट थीं, परिसीमन के बाद चौथी सीट बमोरी विधानसभा सीट बनी। इस सीट से पिछले तीन चुनावों से कांग्रेस को करारी हार मिलती रही है। यहां से लगातार भाजपा जीतती रही है।
सबसे पहले विधायक बने टाटके
सूत्र बताते हैं कि गुना विधानसभा सीट पर पहला चुनाव सन् 1951 में हुआ, जिसमें कांग्रेस ने जीत दर्ज कराई थी। इसके विधायक सीताराम टाटके बने थे। इसके बाद परिसीमन होने तक 12 चुनाव हुए, जिसमें 1957 में कांग्रेस, 1962 में हिन्दू महासभा, 1967 में स्वतंत्र पार्टी, सन् 1972 में भारतीय जनसंघ, सन् 1977 में जनता पार्टी, सन् 1980 और 85 में कांग्रेस, सन् 1990 में भाजपा, सन् 1993 और 1998 में कांग्रेस के अलावा परिसीमन से पहले के अंतिम चुनाव 2003 में भाजपा जीती थी, 2008 में भारतीय जन शक्ति पार्टी, सन् 2013 में भाजपा और सन् 2018 में भाजपा चुनाव जीती। इस तरह छह बार कांंग्रेस जीती, तो चार बार भाजपा जीती। इसके अलावा दूसरी पार्टियां भी चुनाव जीतती रही हैं।
गुना में अभी तक हुए चुनाव जीते और बने विधायक
वर्ष – नाम -पार्टी
– 1951- सीताराम टाटके-कांग्रेस
– 1957-दौलतराम- कांग्रेस
– 1962-वृन्दावन प्रसाद- हिन्दू महासभा
– 1967-आरएल प्रेमी -स्वतंत्र पार्टी
– 1972 -शिवप्रताप सिंह -भारतीय जनसंघ
– 1977 -धर्म स्वरूप सक्सेना -जनता पार्टी
– 1980 -शिवप्रताप सिंह- कांग्रेस
– 1985 -शिवप्रताप सिंह -कांग्रेस
– 1990 -भागचन्द्र सोगानी- भाजपा
– 1993 -शिवप्रताप सिंह कांग्रेस
– 1998 -शिवप्रताप सिंह-कांग्रेस
– 2003 -कन्हैयालाल अग्रवाल-भाजपा
– 2008 -राजेन्द्र सिंह सलूजा -भारतीय जनशक्ति पार्टी
– 2013 -पन्नालाल शाक्य -भाजपा
– 2018- गोपीलाल जाटव-भाजपा
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