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बादल ने बताया कि मेगा फूड पार्क नीति के तहत जमीन को फूड पार्क में स्थापित करने वाली कंपनियों के नाम सब-लीज करना होता है। यूपी सरकार को इस संबंध में अनुमति देनी होगी। बादल ने बताया कि पतंजलि को जरूरी शर्तें पूरी करने के लिए जून तक का समय दिया गया है, ताकि कंपनी को केंद्र सरकार की ओर से अंतिम मंजूरी मिल सके।
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यह है पूरा मामला
ग्रेटर नोएडा में पतंजलि आयुर्वेद के नाम पर 455 एकड़ जमीन का आवंटन किया गया था। जिसका शिलान्यास पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने किया था। लेकिन, समय बीतने के साथ ही पतंजलि ने उस जमीन पर पतंजलि मेगा फूड पार्क बनाने का ऐलान कर दिया। इसके बाद से ही जमीन आवंटन का मामला फंस गया। क्योंकि जमीन का आवंटन पतंजलि आयुर्वेद के नाम से किया गया था। इसलिए विभाग ने पतंजलि को नए सिरे से दस्तावेज दाखिल करने को कहा। लेकिन, समय पर दस्तावेज पूरे नहीं किए गए और उसके बाद आचार्य बालकृष्ण ने ट्वीट कर इसका ठीकरा सरकार पर फोड़ दिया।
पतंजलि के सह-संस्थापक आचार्य बालकृष्ण ने अपने ट्वीट में कहा था कि सरकार की लेट लतीफी की वजह से वह किसी अन्य स्थान पर फूड पार्क बनाएंगे और जमीन सरकार को लौटा देंगे। आचार्य बालकृष्ण ने यह भी कहा था कि पतंजलि के लोग मुख्यमंत्री समेत मंत्रियों और अधिकारियों से मिले और अपनी समस्या बताई, लेकिन बात नहीं बनी। हालांकि बाद में सीएम योगी और बाबा रामदेव की बातचीत के बाद सहमति बन गई।