बिजली की दर कम करने की बात कही बता दें कि उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए कंपनियों के वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) के साथ ही बिजली दर को अंतिम रूप देने के लिए शुक्रवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए जन सुनवाई की। जिसमें एनपीसीएल द्वारा बिजली दरों पर प्रस्तुतीकरण किया गया। प्रस्तुतीकरण को देखने के बाद उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने इस पर सवाल उठाया कि जब कंपनी का एवरेज बिलिंग रेट (एबीआर) ज्यादा है और औसत विद्युत लागत कम है तो बिजली की दर कम क्यों नहीं की गई? दरअसल वर्ष 2019-20 में रेग्युलेटरी सरचार्ज सहित एबीआर 8.17 रुपये प्रति यूनिट था जबकि औसत विद्युत लागत 6.12 रुपये थी।
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Lucknow: अंसल ग्रुप पर ED की टेढ़ी नजर, अब लखनऊ पुलिस को पत्र लिखकर मांगी गई जानकारी एक वर्ष तक उपभोक्ताओं को मुफ्त बिजली जाहिर है कि 2020-21 में एबीआर 8.34 रुपये और लागत 7.39 रुपये थी। इस तरह से कंपनी ने लागत से 2.05 रुपये यूनिट तक ज्यादा कमाया। प्रकरण को गंभीर बताते हुए सीबीआई जांच की मांग करते हुए वर्मा ने कहा कि 30 वर्ष के लिए कंपनी को दिए गए लाइसेंस की अवधि अगले वर्ष 30 अगस्त को समाप्त हो रही है। चालू वित्तीय वर्ष के लिए भी कंपनी द्वारा 8.16 रुपये एबीआर और लागत 8.05 रुपये प्रस्तावित करने पर परिषद अध्यक्ष ने कहा कि जिस तरह से कंपनी ने ज्यादा कमाई की है उसको देखते हुए एक वर्ष तक संबंधित क्षेत्र के उपभोक्ताओं को मुफ्त में बिजली मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि कंपनी ने बिजली खरीद सहित ज्यादा लाइन हानियां प्रस्तावित किया है जिसे न मानते हुए हानियां छह प्रतिशत ही मानी जाए।
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लव मैरिज का खौफनाक अंजाम: इस बात पर पति ने कर दी पत्नी की हत्या और फिर…. बिजली की मौजूदा दर में कमी की उम्मीद उन्होंने घाटे में चल रही अन्य बिजली कंपनियों का जिक्र करते हुए कहा कि इनके पैरामीटर पर एनपीसीएल की बिजली दरें तय करना ही गलत है। एनपीसीएल के उपभोक्ताओं की बिजली दरें कम करके उन्हें रेग्युलेटरी लाभ भी दिया जाए। सुनवाई के बाद वर्मा ने बताया कि कंपनी का 1176 करोड़ रुपये सरप्लस निकल रहा है। ऐसे में एनपीसीएल की बिजली किसी भी सूरत में महंगी होने वाली नहीं है बल्कि आयोग द्वारा बिजली की मौजूदा दर में निश्चिततौर पर कमी किए जाने की पूरी उम्मीद है। ट्रांसमिशन टैरिफ पर उपभोक्ता परिषद ने कहा कि इसे 24.21 पैसे प्रति यूनिट से 31.73 पैसे प्रति यूनिट करने की मांग की जा रही है लेकिन ट्रांसमिशन कारपोरेशन का सिस्टम तो मिसमैच है। टैरिफ को 31 प्रतिशत बढ़ाने से पहले सिस्टम को अपग्रेड किया जाए।