मीडिया रिपोर्टस के अनुसार, मायावती को गृहजनपद की सीट पर झटका लग सकता है। वहीं, भाजपा 2014 के बाद इस बार भी यह सीट जीत सकती है। इस सीट पर शहरी वोटों पर भाजपा की अच्छी पकड़ है। इसके अलावा ग्रामीण वोटों का ध्रुवीकरण भी भाजपा के लिए मजबूती है। बार—बार प्रत्याशी बदलने से गठबंधन को नुकसान हो सकता है। मायावती ने सबसे पहले वीरेंद्र डाढा को प्रभारी बनाया था। उसके बाद बाइक बोट कंपनी के मालिक संजय भाटी को प्रभारी बनाया था। चुनाव से ऐन वक्त पहले सतवीर नागर को प्रत्याशी बनाया था। केंद्रीय मंत्री डॉ. महेश शर्मा के सामने सतवीर नागर को कमजोर प्रत्याशी माना गया था। हार जीत का फैसला 23 मई को ही होगा।