बता दें कि सपा-बसपा गठबंधन में शामिल रालोद के शामिल होने की मंगलवार को आैपचारिक घोषणा हो गर्इ है। रालोद यूपी में तीन सीटों पर ही लोकसभा चुनाव लड़ेगी। मुज्जफरनगर, बागपत आैर मथुरा की सीटें रालोद के खाते में गर्इ है।
यूपी की राजनीति का इतिहास देखा जाए तो सूबे में ब्राह्मणों समेत अन्य सवर्ण वोटों ने जिस पार्टी को वोट दिया, वहीं पार्टी सरकार बनाने में सफल हुई। 2007 में बसपा ने करीब 99 ब्राह्मण चेहरों पर दांव लगाया था। इसका फायदा भी बसपा को हुआ। 2012 में 69 टिकट दिए गए। 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने ब्राह्मण चेहरों दरकिनार किया था। नतीजा यह हुआ कि पार्टी को हार का सामना करना पड़ा था। यूपी में 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में ब्राह्मणों को करीब 34 सीटें दी थी।
2007 के विधानसभा चुनाव की तर्ज पर संगठन को मजबूत करने में जुटी बसपा लोकसभा चुनाव में जीत के लिए मायावती 2007 के विधानसभा चुनाव की तर्ज पर संगठन को मजबूत करने में जुटी है। 2007 के विधानसभा चुनाव में बसपा ने गैर दलितों को जिम्मेदारी और तवज्जो दी थी। उस दौरान मायावती ने पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई थी। मुख्य संगठन से जुड़े नेताओं व कार्यकर्ताओं को अपने-अपने समाज को साधने के लिए भाईचारा कमिटियों में शिफ्ट कर दिया है। पुरानी कमिटी भंग कर दी गई है। साथ ही कुछ पदों पर मुस्लिमों को जरूर बरकरार रखा है। बाबू मुनकाद, नौशाद अली और शमशुद्दीन राइन को पद देने को दलित मुस्लिम एकता के तौर पर देखा जा रहा है।
10 ब्राह्मण कैंडिडेट पर दांव खेल सकती हैं मायावती बसपा नेताओं का कहना है कि 2007 में जिस तरह चुनाव लड़ा था, उससे फॉर्म्युले से कामयाबी मिलने की उम्मीद ज्यादा है। यूपी में इस बार मायावती सपा से गठबंधन कर चुनाव लड़ रही है। मायावती यूपी में 38 सीटों पर प्रत्याशी उतारेगी। बता दें कि गठबंधन में बसपा के खाते में 38, सपा 37 और रालोद 3 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। पार्टी सूत्रों की माने तो करीब 9 से 10 सीटों पर ब्राह्मण प्रत्याशी लोकसभा चुनाव में बसपा उतार सकती है। इनमें 6 ब्राह्मण प्रत्याशी पूर्वांचल से हैं।