यह परंपरा जारी है मंदिर सचिव द्वारिका तिवारी ने कहाकि, नरसिंह शोभा यात्रा का नाम भगवान नरसिंह के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने राक्षस राजा हिरण्यकश्यप का वध किया था, जिसकी शुरूआत 1945 में योगी के गुरु महंत अवैद्यनाथ के पूर्ववर्ती महंत दिग्विजयनाथ ने की थी और तब से यह आज तक यह परंपरा जारी है।
शहर की जनता रंगों और फूलों से करती है स्वागत इस अवसर पर, योगी आदित्यनाथ एक मोटर चालित रथ पर यात्रा शुरू करने से पहले धूप का चश्मा और एक रेन कोट पहनते है। यात्रा शहर की तंग गलियों से होते हुए व्यस्त सर्राफा बाजार से होकर गुजरती है जहां स्थानीय लोगों द्वारा रंगों और गुलाब की पंखुड़ियों से उसका स्वागत किया जाता है।
पहले जुलूस फिर चलता है ‘फगुआ’ का दौर एक जुलूस निकाला जाता है। जिसमें बड़ी संख्या में भाजपा और आरएसएस के नेता और कार्यकर्ता शामिल होते हैं। यह शहर में 5 किलोमीटर का चक्कर लगा कर अंत में मंदिर में समाप्त होता है। इसके बाद में, योगी आदित्यनाथ प्रतिष्ठित नागरिकों के साथ एक समारोह में भाग लेते हैं जहां ‘फगुआ’ गाया जाता है। यात्रा से पहले वह ‘होलिका दहन’ में भी शामिल होते हैं।
पीठाधीश्वर संग रंग खेलने का सीधा मौका आईएएनएस के अनुसार, भाजपा के एक नेता ने कहाकि, यही अवसर है जब भक्तों को पीठाधीश्वर के साथ रंग खेलने का सीधा मौका मिलता है।