यह जिलाधिकारी कार्यालय है
गोरखपुर नगर निगम यानी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कर्मक्षेत्र-गृहनगर। केंद्र या प्रदेश में किसी की भी सरकार रही हो लेकिन लोकल सरकार यहां की बीजेपी की ही बनती है। नगर विधायक के रूप में लगातार बीजेपी का ही परचम लहराया है। इस बार की छोड़ दें तो करीब तीन दशक से यहां भगवा ही संसदीय चुनाव में फहरता रहा। यह शहर स्मार्ट सिटी का भी सपना देख रहा। लेकिन हल्की सी बारिश इस तेजी से बदल रहे शहर में विकास की पोल खोल दे रहा। दो दिन पहले की कुछ तस्वीरों को देखकर आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह शहर अभी भी शहर होने के लिए तड़प रहा। कई हिस्सों मेें मूलभूत सुविधाओं का अभाव है तो जलनिकासी की समस्या तो हर ओर है। सबसे विदु्रप यह कि जब सरकारी दफ्तरों के हाल हल्की सी बारिश में पानी-पानी हो जा रहे तो आम नागरिकों के मोहल्लों का अंदाजा लगाया जा सकता है। मानसून के पहले हुई बारिश ने इस शहर के नीति-नियंताओं के उन दावों की भी पोल खोल दी कि मानसून से निपटने के लिए व्यापक तैयारियां की जा चुकी हैं। लेकिन मजे की बात यह कि शहर को सुरक्षित रखने का दावा करने वालों के आफिस ही बारिश में सुरक्षित नहीं रहे।