नगर निगम कार्यालय की मानें तो कान्हा उपवन में रोजाना लगभग 200 लीटर गोमूत्र इकट्ठा किया जाएगा। इसके लिए बाक़ायदा IDS इंटरप्राइजेज से करार भी होगा। यह फर्म पहले सेवर्मी कंपोस्ट बना रही है। जिसको नगर निगम संजीवनी के नाम से इसकी बिक्री कर रहा है। अब गौमूत्र की बारी है।
कान्हा उपवन में बेसहारा पशुओं की संख्या लगभग 1400 के आस-पास है। पशुओं के गोबर से वर्मी कंपोस्ट तैयार कर इसकी बिक्री हो रही है। अब गोमूत्र के व्यवसायिक उपयोग की शुरुआत नगर निगम गोरखपुर करने जा रहा है।
क्या होते है इसके फायदे साथ ही कैसे करेगा काम
खेतों में पानी के साथ गोमूत्र को मिलाकर छिड़काव करने से फसल पर कीड़े नहीं लगेंगे। गोमूत्र को इकट्ठा कर इसे शुद्ध किया जाएगा और फिर बॉयलर में गर्म करने के बाद ठंडा कर बोतलों में भरा जाएगा। 1 लीटर गोमूत्र को 15 लीटरपानी में मिलाकर फसल पर छिड़काव करने से कीड़े नहीं लगेंगे।
साथ ही फ़ंफूद से भी फसल बचती है। गोमूत्र मिले पानी में बीज रखने के बाद बोवाई से फसल तो अच्छी होती ही है, कीड़े भी नहीं लगते हैं। यह फसलों में रोग नहीं लगने देता और पैदावार अच्छी होती है। इसके इस्तेमाल के बाद खेत में पोटाश व फास्फोरस की जरूरत नहीं पड़ती है। गोमूत्र से फिनायल और फर्श की सफाई के लिएलिक्विड बनाया जाएगा।
क्या कहते हैं नगर निगम के आयुक्त
कान्हा उपवन में रह रहे निराश्रित गोवंश और नंदी वंश की संख्या बहुत ज्यादा है। लगभग 28-30 लाख रुपये इनकी देखभाल के लिए खर्च किए जाते है। दरअसल, कुशीनगर के एक व्यक्ति के साथ टाई अप कर गोबर से बने वर्मी कम्पोस्ट को पहले से ही संजीवनी के नाम से बेच रहे है। अब गोमूत्र को बेचने की योजना है। इससे होने वाले आय से हम गोबर गैस प्लांट आदि चलाते है।