ओडीओपी महिलाओं-युवतियों के आर्थिक आजादी का स्वप्न कर सकता पूरा!
वन डिस्ट्रिक वन प्रोडक्ट पर आईआईएम के रिसर्च में कई महत्वपूर्ण तथ्य सामने आएसरकार रिसर्च टीम के सुझावों पर अमल करे तो रोजगार की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगी योजना
ODOP योजना के तहत एक ही छत के नीचे उद्यमियों को मिलेंगी सुविधाएं, जानिए प्रक्रिया
एक जिला एक उत्पाद योजना को लागू करने के बावजूद परंपरागत शिल्पों व उत्पादकों को कोई खास मौका नहीं मिल पा रहा है। हालांकि, आधुनिक तकनीक व सरकारी मदद से समाज का यह वर्ग खुशहाली का जीवन तो जीने ही लगेगा, रोजगार के तमाम संभावनाएं भी विकसित हो सकेंगी। यूपी के ‘वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट’ पर आईआईएम इंदौर ने रिसर्च किए हैं। रिसर्च में आए परिणामों को दृष्टिगत रख ओडीओपी को प्रदेश की बेहतरीन योजनाओं में शुमार करने के साथ साथ परंपरागत उद्योगों/शिल्प को नए आयाम में गढ़ा जा सकता है। आर्इआर्इएम अपने इस रिसर्च को सरकार संग बांटने के साथ देवरिया में आेडीआेपी के लिए काम भी कर रहा।
आईआईएम के शोध टीम के सदस्य बताते हैं कि यूपी का प्रत्येक जिला किसी विशेष शिल्प या कारीगरी के लिए पहचाना जाता है। इनमें से कई समुदाय परंपराएं मर रही हैं। इनको तकनीकी प्रशिक्षण व प्रोत्साहन से पुनर्जीवित किया जा सकता है। हींग, देसी घी, फैंसी कांच के बर्तन, गुड़, चमड़े का सामान – इन शिल्पों में विशेषज्ञता वाले जिले यूपी में है जिनको मदद कर इनकी आर्थिक स्थितियों को दुरुस्त करने के साथ इन शिल्पों को भी बचाया जा सकता है।
Read this also: PAN को AADHAR से एक क्लिक में करें लिंक, अपनाएं यह आसान प्रक्रियादेवरिया के एक गांव की सर्वे रिपोर्ट प्रशासन को सौंपी आईआईएम इंदौर जिला प्रशासन देवरिया की मदद से एक गांव को आदर्श रुप में विकसित करने जा रहा है। इस गांव को ओडीओपी के तहत माॅडल बनाया जाएगा। इसके लिए आईआईएम की रिसर्च टीम ने सर्वे किया। सर्वे में तमाम ऐसे तथ्य सामने आए जिससे ओडीओपी को बढ़ावा देकर समाज के वंचित व पिछड़े समाज को विकास की मुख्य धारा में लाया जा सकता है। आईआईएम इंदौर की टीम ने उदयम समागम (एंटरप्राइज मीट) 2019 के ओडीओपी प्रतिभागियों के साथ एक ओजेएएस (ओडीओपी जन सर्वक्षण) सर्वेक्षण किया। आईआईएम इंदौर की टीम ने ओडीओपी प्रतिभागियों ध् कारीगरों से संबंधित अंतर्दृष्टि उत्पन्न करने के लिए देवरिया जिले की लगभग 60 ओडीओपी टीमों के डेटा का विश्लेषण किया है। भारतीय प्रबंध संस्थान इंदौर टीम के प्रतिनिधि नवीन कृष्ण राय ने सर्वे रिपोर्ट जिलाधिकारी अमित किशोर को सौंपी। इस रिपोर्ट में समस्याओं, सम्भावनाओं और सुझावों को शामिल किया गया है।
महिलाएं व युवतियां ज्यादा उत्सुक, ओडीओपी दे सकता नया आसमान सर्वे में 48 प्रतिशत पिछड़ी जाति, 39 प्रतिशत सामान्य और 13 प्रतिशत अनुसुचित जाति के टीम लीडर्स पाये गये। महिलाएं, पुरुषों की तुलना में अधिक सक्रियता से काम कर रही हैं इससे महिला सशक्तिकरण को बल मिला है। सर्वे में यह भी पाया गया कि यह योजना युवतियों मे अधिक प्रचलित है। सर्व में पाया गया कि अगर प्रचार प्रसार व मदद किया जाए तो यह योजना महिला सशक्तिकरण व उनकी आर्थिक प्रगति में खासा सहायक हो सकेगा।
हालांकि, पुरुषों के पास अनुभव अधिक रिसर्च टीम ने पाया कि टीम लीडर्स के अनुभव के बारे में सर्वेक्षण में पुरूष आगे है। पुरुषों लीडर्स के टीम की औसतन संख्या 80 जबकि महिलाओं में 40 पाया गया। इस प्रकार महिलाओं को अधिक सहयोग और मार्गदर्शन की आवश्यकता है।
Read this also: रेलवे चलाएगा तेजस जैसा प्राइवेट ट्रेन गोरखपुर-मुंबर्इ व गोरखपुर-दिल्ली रुट पर भी बैंकों का असहयोग, मार्केटिंग स्किल्स की कमी बाधा रिसर्च टीम में शामिल नवीन कृष्ण राय के अनुसार ओडीओपी की मुख्य बाधाओं के रुप में 38 प्रतिशत फायनांस, 29 प्रतिशत ने मार्केटिंग और मूलभूत संसाधनों की कमी सामने आई है। कच्चे माल की समस्या और बिजली की उपलब्धता भी एक विशेष वजह है। टीम ने सुझाव दिए हैं कि इसके लिए बैंकों और सरकारी योजनाओं को जमीनी स्तर पर ले जाने का सुझाव दिया गया। 45 प्रतिशत लोगों ने बताया कि वे अपने उत्पाद को विशेष सीजन में बनाते हैं शेष दिन अन्य काम करते हैं या खाली रहते हैं। 40 प्रतिशत ने बताया कि वह अपने उत्पाद को स्थानीय बाजार में मेला और प्रदर्शनी के माध्यम से और 50 प्रतिशत सीधे ग्राहकों को बेचते हैं। इसके समाधान के लिए ग्राहक सुविधा केंद्र बनाने का सुझाव दिया गया।
Read this also: सरेराह युवती के कपड़े फाड़ अर्धनग्न किए जाने के मामले में केस दर्ज, दो गिरफ्तार सरकारी योजना इस तरह पहुंच सकती धरातल तक रिसर्च टीम के अनुसार 80 प्रतिशत लोग अपने उत्पाद को हाथ से और केवल 8 प्रतिशत लोग मशीन का इस्तेमाल करके बनाते हैं। सर्वे में हस्तशिल्प कार्ड और एमएसएमई कार्ड कज बारे में विशेष रूप से जिक्र किया गया है क्योंकि 60 टीमों में से केवल 2 टीम के पास हस्तशिल्प कार्ड था वहीं 88 प्रतिशत लोगों के पास एमएसएमई कार्ड नहीं था। इसके लिए व्यापक जागरूकता अभियान और कैम्प लगाकर कार्ड बनवाने का सुझाव दिया गया है। आईआईएम के निदेशक प्रो.हिमांशु राय बताते हैं कि ओडीओपी योजना से कारीगरों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने में कई पहलुओं पर ध्यान देने की आवश्यकता है। देवरिया जिले में वित्त, विपणन, कच्चे माल की उपलब्धता आदि से संबंधित कुछ चुनौतियां हैं। हम यहां एक बेहतर विकल्प व संभावनाओं पर विचार कर रहे हैं। यह गांव रोल माॅडल बनाने का संकल्प है।
ये लोग शामिल रहे रिसर्च टीम में प्रो.हिमांशु राय, प्रोफेसर संजीव त्रिपाठी, अमित वत्स, सौरभ कुमार, श्रुति तिवारी तथा बिजनेस डेवलपमेंट मैनेजर नवीन कृष्णा राय। Read this also: विद्यार्थियों संग शिक्षकों व कुलपति ने भी पढ़ी एक किताब