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गोरखपुर

Gorakhpur news : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया जटायु संरक्षण केंद्र का उद्घाटन, नारी गरिमा की रक्षा के लिए जटायु दिए अपना बलिदान

मुख्यमंत्री, शुक्रवार को जटायु संरक्षण एवं प्रजनन केंद्र कैंपियरगंज के लोकार्पण समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि नारी सम्मान को बचाने के लिए गिद्ध राज रावण से भिड़ गए। मित्रता व नारी सम्मान कैसे किया जाता है, यह जटायु से सीखने की जरूरत है। यह अच्छा कार्य हुआ है। उत्तर प्रदेश तेजी से आगे बढ़ रहा है।

गोरखपुरSep 06, 2024 / 01:53 pm

anoop shukla

शुक्रवार को गोरखपुर में CM योगी आदित्यनाथ ने जटायु संरक्षण केंद्र का उद्घाटन किया। इस दौरान उन्होंने कहा- आज जटायु संरक्षण केंद्र के लोकार्पण कार्यक्रम में आने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। इसके लिए मैं सभी का आभार व्यक्त करता हूं। मुख्यमंत्री ने कहा की रामायण काल का पहला वरदानी, जिसने धर्म के लिए, नारी गरिमा और रक्षा के लिए अपने आपको बलिदान किया था। तो वह वीर और वरदानी कोई और नहीं था। वह वीरराज जटायु थे।
उन्होंने कहा आज भी आप गांव में देखते होंगे कि अपने घर में कोई खाना खिलाए या न खिलाए, लेकिन कोई कसाई गाय की हत्या कर दे तो मुझे लगता है कि कोई सनातनी इसको बर्दाश्त नहीं करता है।बंदर भले ही आपकी फसल-बाग का कितना ही नुकसान कर ले, लेकिन कोई बंदर की हत्या कर दे, तो आप उसे बर्दाश्त नहीं करते। क्योंकि उसके पूर्वजों ने हमारी परंपरा के लिए सर्वस्व बलिदान करने में योगदान दिया था।

रामायण काल के पहले वरदायनी जटायु हैं

जटायु की पीढ़ी है गिद्ध CM योगी ने कहा हनुमान जी ने माता सीता को ढूंढने में अपना जीवन लगाया था। उसके प्रति कृतज्ञता हम जाहिर करते हैं। रामायण काल के पहले वरदानी जटायू हैं। आज वर्तमान में गिद्ध जटायु की पीढ़ी है। जब दवा और प्रेस्टिसाइज का इस्तेमाल हुआ, तो इसका प्रभाव सबसे ज्यादा गिद्धों पर पड़ा। आज उनके बचाव और संरक्षण के लिए इस जटायू केंद्र की शुरुआत की गई है।
इसके अलावा CM योगी ​​​​​​आज ​सोनबरसा थाने का भूमि पूजन और शिलान्यास करेंगे। यह जिले का तीसवां और कुल मिलाकर बत्तीसवां थाना होगा, जो गोरखपुर के उत्तरी हिस्से में सुरक्षा का नया केंद्र बनेगा।

सीताजी की दुखभरी वाणी को जटायु राज ने ही पहचाना

CM ने रामायण काल का सुनाया प्रसंग रामायण काल के प्रसंग हमारे सामने आते हैं। तुलसीदास जी कहते हैं- गीधराज सुनि आरत बानी। रघुकुलतिलक नारि पहिचानी॥ अधम निसाचर लीन्हें जाई। जिमि मलेछ बस कपिला गाई। उन्होंने कहा है कि जटायु ने सीताजी की दुखभरी वाणी सुनकर पहचान लिया कि ये रघुकुल तिलक श्री रामचन्द्रजी की पत्नी हैं।उन्होंने देखा कि राक्षस उनका अपहरण करके वैसे ही ले जा रहा है, जैसे कोई मलिछ कपिला गाय को ले जाता है। यह राक्षस कोई और नहीं रावण था। जटायु रावण से भिड़ गए थे।

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