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गोंडा जिले के जेठपुरवा के रहने वाले श्याम रंग बताते हैं कि वह बीते करीब चार-पांच वर्षों से सब्जी की खेती कर रहे हैं। इसमें मटर की खेती में इनको बेहतर लाभ मिला है। इनका कहना है कि एक बीघा मटर की खेती में 4 से 5 हजार रुपए की अधिकतम लागत आती है। एक बीघा मटर की फसल अच्छी लग जाए तो। 10 से 15 कुंतल प्रति बीघा फली निकल आती है। बाजार में थोक भाव 40 से 50 प्रति किलो बिकता है। 50 से 60 दिन बाद फली टूटने लगती है। इस तरह 90 से 120 दिनों के बीच प्रति बीघा सारे खर्चे काटने के बाद न्यूनतम 50 हजार रुपये बच जाते हैं। इस बार उन्होंने एक एकड़ में मटर की फसल लगाई है। पिछले साल भी इन्हें एक एकड़ में करीब 2.60 लाख रुपए शुद्ध लाभ मिला था।
90 से 120 दिनों की होती मटर की फसल
मटर की फसल 90 से 120 दिनों में फल फूल लेकर समाप्त हो जाती है। बुवाई के 50 से 60 दिनों के बीच इन में फल लगने लगते हैं। मटर की फली को तोड़कर आसपास के बाजारों में थोक भाव में बेच देते हैं।
छुट्टा जानवरों से फसल को बचाने के लिए लगाई झटका मशीन
फसलों को छुट्टा जानवरों से बचाने के लिए श्याम रंग ने अपने खेत में झटका मशीन लगाया है। कोई भी जानवर जैसे ही इनके खेत में घुसने का प्रयास करता है। खेत के चारों तरफ लगे वायर इन्हें तेजी से झटका देते हैं। सबसे खास बात यह है। झटका मशीन से किसी जानवर की मौत नहीं होती है। एक बार टच होने के बाद जिससे झटका लग जाता है। वह दोबारा खेत की तरफ देखता भी नहीं है। ऐसे करें मटर की बुवाई
श्याम रंग बताते हैं कि मटर की बुवाई करने के लिए खेत को पहले अच्छी तरह तैयार कर ले। उसके बाद मटर की बुवाई पंक्ति में करें। सिंचाई के लिए लंबी और छोटी क्यारियां बनाएं। मटर की बहुत हल्की सिंचाई करें। अर्किल मटर की कई प्रजातियां आती हैं। इनमें से किसी भी प्रजाति को चुन सकते हैं।