मुख्तार अंसारी के खिलाफ BJP विधायक कृष्णानंद राय और नंदकिशोर गुप्ता रुंगटा की हत्या के मामले में गैंगस्टर एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया। वहीं, अफजाल अंसारी पर कृष्णानंद राय की हत्या के मामले में दर्ज केस के आधार पर गैंगस्टर एक्ट लगाया हुआ था।
दोनों भाइयों के खिलाफ मुहम्मदाबाद थाने में 2007 में मामला दर्ज हुआ था। साल 2005 में मऊ में हुए दंगे के पीछे मुख्तार अंसारी का हाथ माना जाता है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उस दौरान गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर के तौर पर मुख्तार अंसारी के खिलाफ आवाज उठाई थी।
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मऊ में दंगे के बाद इलाके के दौरे पर उनके काफिले पर हमला किया गया था। इस बात की जानकारी पूर्व आईपीएस अधिकारी शैलेंद्र सिंह ने एक समाचार चैनल से बातचीत के दौरान बताया है। पूर्व पुलिस अधिकारी शैलेंद्र सिंह मुख्तार के खिलाफ पहले कार्रवाई कर चुके हैं।पूर्व पुलिस अधिकारी शैलेंद्र सिंह ने बताया, ”जब मऊ का दंगा हुआ था उस वक्त मुख्तार अंसारी खुली जीप में घूमता था। जहां पुलिस प्रशासन सब फेल हो रहा हो वहां मुख्तार खुली जीप में घूम रहा था। उस समय सीएम योगी आदित्यनाथ गोरखपुर से वहां दौरा करने के लिए आ रहे थे।”
पूर्व पुलिस अधिकारी शैलेंद्र सिंह ने बताया, “क्योंकि एकतरफा कार्रवाई हो रही थी तो योगी के काफिले पर बम फेंका गया जान से मारने के लिए। संयोग था कि उन्होंने गाड़ी बदल दी थी, नहीं तो उस वक्त बहुत बड़ा हादसा हो जाता। समझा जा सकता है कि मुख्तार का कितना मन बढ़ा हुआ था।”