जानकारी के मुताबिक कविनगर इलाके के संजय नगर कॉलोनी में एक महिला शेल्टर होम चलाती है। शेल्टर होम संचालिका के अनुसार पिछले काफी दिनों से गाजियाबाद के डीपीओ उनके शेल्टर होम में आते थे और उनसे उल्टी सीधी मांग करते हैं। इतना ही नहीं संचालिका ने आरोप लगाया है कि 7 सितंबर को जब डीपीओ उनके शेल्टर होम पहुंचे तो उन्होंने उनके शेल्टर होम में रहने वाली लड़कियों की डिमांड कर दी । जब उन्होंने इसका विरोध किया तो उन्हें जाँच के नाम पर फंसाने की धमकी दी जा रही है। इसके बाद से शेल्टर होम संचालिका और वहां रहने वाली लड़कियां काफी डरी हुई है। शेल्टर होम संचालिका का आरोप है कि 7 सितंबर को डीपीओ जबरन इनके आश्रम में घुस आए और वहाँ रहने वाली लड़की के साथ अश्लील हरकत की और जब लड़की और संचालिका ने इसका विरोध किया तो उन्हें धमकाने लगे कि कुछ नहीं हो पायेगा मेरा। इतना ही नही जांच के नाम पर दो महिला भी डीपीओ के साथ पहुंची और शेल्टर होम के जरूरी कागजात लेकर फरार हो गई। इस मामले को लेकर शेल्टर होम में रहने वाली एक लड़की ने कैमरे के सामने खुद ही आप बीती बताई और बताया कि किस कदर उसके साथ अश्लील हरकत की गई । किस तरह उसको जातिसूचक शब्द बोले गए। वह उसे आसानी से बयां भी नहीं कर सकती।
इस घटना को देखर यही कहा जा सकता है कि आज रक्षक ही भक्षक बन चुका है। गौरतलब है कि बिहार के मुजफ्फरपुर में भी इस तरह की घटना सामने आए थे। वहां भी आरोपियों में वह अफसर भी शामिल है, जिसकी जिम्मेदारी शेल्टर होम की देख-रेख करने की होती है। यानी अब रक्षक के ही भक्षक बन जाने की वजह से शेल्टर होम में महिलाओं और बच्चियों की आबरू सुरक्षित नहीं है। बिहार से लेकर यूपी तक शेल्टर होम के तमाम मामले सामने आए हैं। बिहार के मुजफ्फरपुर का मामला शांत होने भी नही पाया था कि यूपी के देवरिया जिले से भी एक ऐसा मामला सामने आ गया था। मुजफ्फरपुर के शेल्टर होम में मिली 40 लड़कियों में से 34 के साथ रेप की पुष्टि हुई थी। इन्हें नशीली दवाएं देकर गलत काम के लिए मजबूर किया जाता था। अगर कोई लड़की इसके लिए तैयार नहीं होती थी तो उसके साथ मारपीट की जाती थी। देवरिया शेल्टर होम की लड़कियों की कहानी भी ऐसी ही है।
आपको बताते चलें कि हाल में ही दो मामले सामने आए हैं। 2012 में हरियाणा के रोहतक और करनाल के एक-एक शेल्टर होम में भी कुछ ऐसा ही घटित हुआ था। 2013 में महाराष्ट्र के एक शेल्टर होम में भी कुछ बच्चों के साथ यौन शोषण का मामला सामने आया था। 2015 में देहरादून के एक नारी निकेतन में कुछ मूक बधिर महिलाओं के साथ रेप का मामला सामने आया। इसी साल अप्रैल में वहां नारी निकेतन से दो मूक-बधिर युवतियों के गायब होने के मामले भी सामने आए थे।
दरअसल, शेल्टर होम्स की निगरानी और मॉनिटरिंग को लेकर पुख्ता सिस्टम नहीं है। आमतौर पर शेल्टर होम की निगरानी जिला मजिस्ट्रेट, जिला जज, जिला प्रोबेशन और बाल कल्याण अधिकारी करते हैं, लेकिन वास्तव में इन सभी स्तरों पर निगरानी का काम ठीक तरह से नहीं हो रहा है। केंद्र सरकार ने भी इस बात को माना है कि अभी तक इन होम्स की ऑडिट के नाम पर इनके इंफ्रास्ट्रक्चर का ही ऑडिट होता रहा है। इनका सोशल आडिट, इनके संचालकों को लेकर जिस तरह का ऑडिट होना चाहिए, वैसा ऑडिट नहीं हुआ। हालांकि, इस तरह के मामले लगातार सामने आने के बाद सरकार द्वारा भी तमाम योजनाएं बनाई गई और तमाम दावे किए गए। कई तरह की जांच भी बैठाई गई, लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि जब एक शेल्टर होम संचालिका और वहां रहने वाली लड़कियों ने ही उस अधिकारी पर गंभीर आरोप लगाए है, जो अधिकारी उनकी सुरक्षा की जानकारी और सुरक्षा के इंतजाम कराने के लिए सर्वे करने गए थे। फिलहाल इस पूरे मामले को एसएसपी ने गंभीरता से लेते हुए जांच के आदेश दिए हैं। देखने वाली बात यह होगी कि यह जांच कितनी सही दिशा में जाती है, क्योंकि इससे पहले भी जितने मामले सामने आए हैं सभी मामलों में जांच के आदेश दिए गए थे, लेकिन उसके बाद से सभी मामले फाइलों में दबे हुए नजर आ रहे हैं।