बहरहाल प्रशासन की इस कार्रवाई के बाद से पूरी कॉलोनी में हलचल मच गई है। इतना ही नहीं लोगों ने अपने काम पूरी तरह बंद कर दिए हैं और यही धरने पर बैठ गए हैं । रविवार को बड़ी संख्या में बच्चों से लेकर बूढ़े तक सभी लोग झील के अंदर खड़े हो गए । ये लोग अपने हाथों में तख्ती लेकर प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। लोगों का आरोप है कि जिस वक्त मकान बनाए जा रहे थे तो प्रशासन को उसी वक्त बताना चाहिए था या रोकना चाहिए था। लेकिन, अब जब इन लोगों के मकान पूरी तरह बन चुके हैं और काफी दिन से यहां लोग रह रहे हैं । इन लोगों के पास इसी पते का आधार कार्ड और वोटर कार्ड भी बन चुके हैं । कालोनी में प्रशासन की ओर से बिजली और पानी जैसी सभी सुविधाएं भी दी जा आ रही है। ऐसे में लोग सवाल कर रहे हैं क यह अवैध कैसे हो गए।
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झील में प्रदर्शन के दौरान कई महिलाओं और बच्चों को झील में पड़े कचरे के कारण चोट भी लग गई। सभी घायलों को अस्पताल में भी भर्ती कराया गया है। लोगों का कहना है कि हर हाल में वह अब इन मकानों को नहीं तोड़ने देंगे। उधर प्रशासन इन मकानों को ध्वस्त करने की पूरी तैयारी कर चुका है । प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि इस पूरी कॉलोनी को तोड़ने के आदेश एनजीटी की ओर से जारी किए गए हैं। इतना ही नहीं 31 मई को इस पर कार्रवाई किए जाने के बाद एनजीटी ने अधिकारियों से जवाब भी मांगा है।
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उधर लोगों का कहना है कि प्रशासनिक अधिकारी उन्हें बेवजह परेशान कर रहे हैं । लोगों का कहना है कि यह मुद्दा पिछले काफी समय से चलता आ रहा है, जिसे लेकर चुनावों से पहले धरने प्रदर्शन भी किए गए थे । तब उन्हें भरोसा दिया गया था कि उनके मकानों को नहीं तोड़ा जाएगा। लेकिन चुनाव में भाजपा के जीतते ही अचानक ही प्रशासनिक अधिकारियों ने इस कॉलोनी में बने करीब 540 मकानों पर लाल निशान लगा दिया। साथ ही मुनादी भी कराई गई है कि सभी लोग तय सीमा में अपने मकान खाली कर दें, क्योंकि 29 मई को यह सभी मकान ध्वस्त कर दिए जाएंगे। इस बात से गुस्साए लोगों ने पानी मे घुसकर जीडीए और नगर निगम के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया। साथ ही प्रशासन को आत्महत्या की धमकी भी दी है।
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उधर वार्ड के पार्षद दिलशाद मलिक का कहना है कि वह यहां की जनता के साथ हैं। वह खुद भी उस वक्त वहां मौजूद रहे। जब लोग बड़ी संख्या में पानी में घुस कर नारेबाजी कर रहे थे। उधर नगर निगम के अपर नगर आयुक्त आर्यन पांडे और साहिबाबाद जोनल अधिकारी एसके गौतम का कहना है कि पर्यावरण कार्यकर्ता सुशील राघव की याचिका पर एनजीटी ने नगर निगम और जिला प्रशासन को पृथला झील में बने खसरा नंबर 1445 और 1446 समेत कई खसरों की जमीन पर हुए अतिक्रमण को हटाए जाने के तत्काल प्रभाव से निर्देश दिए हैं। इसी के बाद दोनों विभाग द्वारा इस पर संज्ञान लिया गया है । एनजीटी के आदेशों का पालन करते हुए यह बड़ी कार्रवाई की जा रही है । उन्होंने कहा कि 31 मई को एनजीटी द्वारा इसके बारे में रिपोर्ट मांगी गई है, जिसके चलते यहां यह कार्रवाई की जा रही है।
बहरहाल अब यहां पर स्थानीय निवासी और प्रशासन आमने-सामने आ गए हैं। देखने वाली बात यह होगी कि आखिरकार प्रशासन 29 मई तक अपनी तय सीमा में इन मकानों को ध्वस्त कर पाता है या नहीं । या इन लोगों को कुछ राहत मिल पाएगी। यह आने वाला वक्त ही बयां कर पाएगा।