इन विभागों को बनाया गया था पार्टी पर्यावरण विद सुशील राघव, पार्षद हिमांशु मित्तल, सोसाइटी फॉर एनवायरमेंट के सचिव आकाश वशिष्ट की तरफ से इस मामले में 2016 में जनहित याचिका दायर की थी। इसमें जन संसाधन मंत्रालय, गंगा कायाकल्प व नदी विकास मंत्रालय, वन पर्यावरण एव जलवायु मंत्रालय, उत्तर प्रदेश सरकार, गाजियाबाद विकास प्राधिकरण, नगर निगम, सिंचाई विभाग पाल्यूशन नियत्रण, हज हाउस समिति को पार्टी बनाया गया था।
नेशनल ग्रीन टिब्यूनल लगाई गई पीआईएल में जमीन के तीन खसरों को लेकर विवाद खड़ा हुआ था। इसमें दो खसरे नदी क्षेत्र के और एक खसरा अर्थला गांव के डूब क्षेत्र की जमीन का बताया गया था। जीडीए के मास्टर प्लान में भी यह स्थान नदी क्षेत्र में आता है। उत्तर प्रदेश शहरी नियोजन विकास अधिनियम 1973 की धारा 13 में मास्टर प्लान में परिवर्तन नहीं हो सकता है|
फिर से लग सकता है ताला पीआईएल याचिकाकर्ता सुघील राघव ने बताया कि एनजीटी ने सरकार के पक्ष को सही माना है। जमीन को डूब क्षेत्र की नहीं बताया गया है। इसके साथ ही 2300 लोगों के लिए 135 केएमडी क्षमता वाले एसटीपी प्लांट के साथ इसे शुरू किए जाने की बात कही है। हफ्तेभर में इसके निरीक्षण की रिपोर्ट पाल्यूशन कंट्रोल बोर्ड को एनजीटी को देनी है। वास्तविक स्थिति में अभी तक हज हाउस में एसटीपी प्लांट नहीं है। इसलिए इसे फिर से सीज कर दिया जाएगा। जिन प्वाइंट पर याचिका को खारिज किया गया है। उनका रिव्यू करके आगे की रणनीति बनाई जाएगी।