गाजियाबाद की सीट जहां स्टार्स की होती है जमानत जब्त
गाजियाबाद में शुक्रवार को लोकसभा चुनाव 2024 के लिए दूसरे चरण के तहत मतदान हो रहा है। गाजियाबाद से भाजपा की ओर से अतुल गर्ग हैं तो कांग्रेस ने डॉली शर्मा को चुनावी मैदान में उतारा है। वहीं अगर हम गाजियाबाद लोकसभा सीट के इतिहास पर नजर डालें तो इस सीट से साल 2014 और 2019 में जीतकर वीके सिंह लोकसभा पहुंचे थे। लेकिन इस बार भाजपा ने अतुल गर्ग पर दांव लगाया है। ऐसे में ये देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा का ये दांव कितना सफल होता है, क्योंकि गाजियाबाद ऐसी लोकसभा सीट है। जहां से स्टार प्रत्याशी भी अपनी जमानत नहीं बचा पाते है। यह भी पढ़ेंः
भाजपा के पुराने नेता चुनाव में उतार रही सपा, डॉ. पल्लवी पटेल ने अखिलेश यादव को दी बड़ी चुनौती इसका उदाहरण साल 2014 के लोकसभा चुनाव में देखने को मिला था। जब गाजियाबाद लोकसभा सीट पर भाजपा के वीके सिंह को छोड़कर बाकी सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई थी। इसमें सिने कलाकार राज बब्बर और शाजिया इल्मी भी शामिल थीं। राज बब्बर के नाम इसी सीट से सबसे बड़ी हार का रिकॉर्ड दर्ज है। साल 1976 में मेरठ से गाजियाबाद शहर अलग हुआ था। साल 2008 में यह सीट अस्तित्व में आई। तब से इस सीट पर तीन लोकसभा चुनाव हो चुके हैं। इन तीनों चुनावों में कुल 44 प्रत्याशी मैदान में उतरे थे। इनमें 38 जमानत तक नहीं बचा सके।
साल 2009 में 13 प्रत्याशियों की जब्त हुई थी जमानत
गाजियाबाद लोकसभा सीट पर साल 2009 में पहली बार 16 प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतरे थे। इनमें से 13 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई। साल 2009 में यहां भाजपा प्रत्याशी राजनाथ सिंह को 43.34 फीसदी वोट मिले। दूसरे नंबर पर कांग्रेस के सुरेंद्र प्रकाश गोयल 32.41 और बसपा से अमर पाल शर्मा 21.73 प्रतिशत वोट के साथ तीसरे नंबर पर रहे। जबकि साल 2014 के चुनाव में भाजपा के वीके सिंह के अलावा 15 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई। इनमें कांग्रेस के राज बब्बर, ‘आप’ की शाजिया इल्मी मलिक, बसपा के मुकुल उपाध्याय शामिल थे। साल 2019 के चुनाव में कुल 12 प्रत्याशी मैदान में थे। इसमें भाजपा के वीके सिंह और सपा के सुरेश बंसल को छोड़ अन्य सभी उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई। यह भी पढ़ेंः
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लोकसभा चुनाव में किसी भी सीट पर कुल मतदान का छठवां हिस्सा मिलने पर उम्मीदवार की जमानत राशि वापस की जाती है। जबकि प्रत्याशी को जमानत राशि के नाम पर 25 हजार रुपये देने पड़ते हैं। देश में सबसे पहले साल 1951 में जमानत राशि 200 रुपये थी। साल 1971 में यह राशि बढ़कर 500 रुपये, 1991 में पांच हजार, 1996 में दस हजार हो गई। फिर वर्ष 2009 से 25 हजार रुपये हैं। अनुसूचित जाति-जनजाति के उम्मीदवारों को 12,500 रुपये जमानत राशि के देने पड़ते हैं।